नई दिल्ली/बेंगलूरू : कर्नाटक में बीजेपी को रोकने के लिए बने कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) गठबंधन में क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में उठने लगे हैं. दरअसल कांग्रेस जेडीएस के बीच दो मसलों पर विवाद है. फ्लोर टेस्ट के तीन दिन बीत जाने के बावजूद दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है. वहीं सूबे की एक सीट पर हो रहे चुनाव में भी कांग्रेस और जेडीएस के बीच लड़ाई है. दोनों दल अलग-अलग होकर चुनाव लड़ रही है. कल राज राजेश्वरी नगर विधानसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. जहां कांग्रेस, जेडीएस और बीजेपी आमने-सामने है. राज राजेश्वरी नगर सीट पर चुनाव फर्जी मतपत्र मिलने की शिकायत के कारण टाल दिए गए थे.

इस सीट पर कांग्रेस और जेडीएस दोनों एक दूसरे को कदम पीछे लेने के लिए कहते रहे, लेकिन अंत तक कोई पीछे नहीं हटा और अब तीनों पार्टियां मैदान में है. ऐसे में इस सीट पर लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इससे पहले एचडी कुमारस्वामी ने कहा था कि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस अब सभी चुनाव मिलकर लड़ेंगे. लेकिन सवाल यह कि जो कांग्रेस और जेडीएस दोनों चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने की बात कर रहे हैं वह एक सीट पर बात नहीं बना पाये वो आगे कैसे रणनीति तय करेंगे?

मंत्री पद की लड़ाई दिल्ली पहुंची कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और राज्य कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली में हैं. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख जी परमेश्वर, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सहित कांग्रेस के नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. जहां वह मंत्री पद के बंटवारों पर चर्चा कर सकते हैं. परमेश्वर ने एक विशेष विमान में दिल्ली रवाना होने से पहले कहा , ‘‘सभी चर्चाएं दिल्ली में होंगी... कैबिनेट विस्तार, किसे लेना है और किसे प्राथमिकता देनी है...मानदंड आलाकमान द्वारा तय किये जाएंगे.’

वहीं कुमारस्वामी के भी राहुल-सोनिया से मिलने की भी खबर है. हालांकि कल उन्होंने बेंगलूरू रवाना होने से पहले साफ कर दिया था कि वह दिल्ली में मुलाकात नहीं करेंगे. कांग्रेस-जेडीएस सरकार का नेतृत्व कर रहे कुमारस्वामी के विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद से ही कैबिनेट विस्तार को लेकर गठबंधन साझेदारों के बीच बातचीत शुरू हो गई थी. पार्टी सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर एक और दौर की बैठक कल बेंगलूरू में एक निजी होटल में हुई. बैठक में कुमारस्वामी, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, परमेश्वर और कांग्रेस महासचिव औ कर्नाटक के पार्टी मामलों के प्रभारी के सी वेणुगोपाल शामिल थे. यह पहले ही निर्णय हो चुका है कि कांग्रेस के 22 मंत्री और जेडीएस के 12 मंत्री होंगे.

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार उपमुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने से कथित रूप से नाखुश हैं. बी एस येदियुरप्पा के शक्तिपरीक्षण से पहले कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने में शिवकुमार महत्वपूर्ण व्यक्ति के तौर पर उभरे थे. परमेश्वर ने इसका संकेत दिया कि वह प्रदेश पार्टी प्रमुख का पद छोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि पद के लिए कांग्रेस में कई सक्षम नेता हैं. कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सरकार सुचारू रूप से चले इसके लिए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने के वास्ते एक समन्वय समिति पर चर्चा चल रही है.

दरअसल, कांग्रेस-जेडीएस ने बीजेपी को दक्षिण में सत्ता हासिल करने से रोकने के लिए चुनाव परिणाम के ठीक बाद आनन-फानन में गठबंधन किया था. कांग्रेस ने ज्यादा सीटें (78) जीतने के बावजूद जेडीएस नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया. अब जब कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बन चुकी है. तो वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है. जेडीएस ने सूबे में 37 सीटों पर जीत दर्ज की है.