India China Dispute News: सरहद पर बढ़ती दादागिरी और उकसावे वाली करतूतों पर भारत ने चीन को बाज़ आने को लेकर आगाह किया है. भारत ने साफ किया कि बीते 60 सालों से जारी चीन के अवैध कब्जे को उसने कभी स्वीकार नहीं किया है और इस इलाके में हर चीनी निर्माण पर भारत की नज़र है. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत सरकार सीमा क्षेत्र पर लगातार निगरानी बनाए हुए है. साथ ही अपना ढांचागत निर्माण बेहतर बनाने और सैन्य रसद आवाजाही के इंतजाम दुरुस्त बनाने के हर प्रयास किए जा रहे हैं.

चीन की तरफ से पूर्वी लद्दाख इलाके में उत्तरी व दक्षिणी छोर को जोड़ते हुए पुल बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि भारत सरकार सीमा पर लगातार नज़र बनाए है. यह पुल उन इलाकों में बनाया जा रहा है जो बीते करीब 60 सालों से चीन के अवैध कब्जे में है. भारत ने कभी इस कब्जे को स्वीकार नहीं किया है. सरकार भारत के सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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चीन के कब्जे में भारत की 43180 वर्ग किलोमीटर जमीन है. यह स्विट्जरलैंड जैसे एक देश से भी अधिक की जमीन है. भारत और चीन के बीच 1962 में हुई लड़ाई और चीन पाकिस्तान के बीच भूमि समझौते के कारण यह जमीन चीनी कब्जे में आई. नवंबर 2000 में भारतीय संसद ने संयुक्त प्रस्ताव पारित कर यह संकल्प जताया था कि वह भारतीय भूभाग पर मौजूद चीनी कब्जे को हटाने तक अपना प्रयास जारी रखेगी. 

विदेश मंत्रालय के अनुसार बीते 7 सालों के दौरान भारत ने अपने सीमा क्षेत्र को विकासित करने में निवेश किया है. साथ ही ढांचागत निर्माण को भी मजबूत किया है. ताकि सीमांत इलाकों में सैन्य बलों तक रसद की व्यवस्था मजबूत की जा सके.

ध्यान रहे कि अगस्त-सितंबर 2020 की कार्रवाई में भारतीय सुरक्षा बलों की  चीन को चौंका दिया था. चीन को चकमा देते हुए भारतीय सैनिक ऊंचाई कई पहाड़ियों पर काबिज हो गए थे. माना जा रहा है कि भविष्य ऐसी किसी कार्यवाही से बचने के लिए ही चीन पैंगोंग झील पर पुल बनाने की तैयारी कर रहा है.

इस बीच भारत ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के नाम बदलने की चीनी करतूतों काफी करारा जवाब दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यह साफ किया कि नाम बदलने जैसी हरकतों से चीन के आधारहीन क्षेत्रीय दावों का कोई भला नहीं होने वाला है. 

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के अनुसार टूटींग को तावदांग, नदी श्योम को शीयूएम और किबिथू को दाबा जैसे नाम बदलने की कवायद बेकार है. यह चीन के आधारहीन क्षेत्रीय दावों को न तो ज़मीन देता है और न ही कोई तर्क. अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और है. हम उम्मीद करते हैं कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पश्चिमी सेक्टर के इलाके पर टकराव के मोर्चे खत्म कर सम्बंध बेहतर बनाने में योगदान दे.

इतना ही नहीं निर्वासित तिब्बती प्रशासन के कार्यक्रम में भारतीय सांसदों की भागीदारी पर  जताए गए चीनी ऐतराज को भी भारत ने सिरे से खारिज किया है. भारत ने साफ किया कि भारतीय सांसदों को.चीनी दूतावास के राजनीतिक कौंसलर क़ई तरफ से भेजी गई चिट्ठी की न तो भाषा सही है और भाव और लहज़ा. विदेश मंत्रालय के अनुसार चीन को यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत एक सक्रिय लोकतंत्र है. जहां जन प्रतिनिधि होने के नाते भारतीय सांसद अपने विचारों व धारणाओं के अनुरूप अनेक गतिविधियों में भाग लेते हैं. चीन को भारत के माननीय सांसदों के सामान्य कामकाज संबंधी मुद्दों को तूल देकर द्विपक्षीय संबंध अधिक उलझाने से बाज़ आना चाहिए.

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भारत ने गलवान घाटी में अपना झंडा फहराते हुए जारी की गई चीनी तस्वीरों को भी नकारा है. विदेश मंत्रालय के अनुसार मीडिया में प्रसारित की गई इस तरह की तस्वीरें सही नहीं है. इसमें तथ्य नहीं है. ध्यान रहे कि नए साल की शुरुआत में ही चीन के सरकारी मीडिया तंत्र ने बड़े जोरशोर से LAC पर गलवान घाटी में चीनी ध्वज फहराते सैनिकों की तस्वीरें और वीडियो जारी कर अपना कब्जा दिखाने की कोशिश की थी. हालांकि बाद में भारतीय सैनिकों के भी गलवान घाटी में झंडा लहराने की सामने आई तस्वीर ने चीन के एकतरफा दावों की हवा निकाल दी थी.