नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच जीडीपी में आई अभूतपूर्व गिरावट ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. लेकिन इस बीच कृषि क्षेत्र ने एक बार फिर कुछ अच्छी खबर दी है.
खरीफ फसलों की रिकॉर्ड बुवाई इस साल खरीफ फसलों की बुवाई जारी है लेकिन अंतिम चरण में है. बुवाई को लेकर कृषि मंत्रालय ने आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक, इस साल (2020-21) धान और दलहन जैसी खरीफ फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद बढ़ी है. इसकी वजह है इन फसलों की रिकॉर्डतोड़ बुवाई. आंकड़ो के मुताबिक, अबतक 1095 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है. पिछले साल ये आंकड़ा 1030 लाख हेक्टेयर था. पिछले साल के मुकाबले इस साल अबतक 6.32 फीसदी ज्यादा क्षेत्र पर खरीफ फसलों की बुवाई हुई गई.
धान की खेती सबसे ज्यादा बढ़ी सबसे ज्यादा बढोत्तरी धान की बुवाई में दर्ज की गई है. पिछले साल (2019 - 20) में जहां धान की बुवाई 365 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी वहीं इस साल (20-21) में ये बढ़कर 396 लाख हेक्टेयर हो गई है. इस लिहाज से इसमें 8.27 फीसदी की बढोत्तरी दर्ज की गई है. जिन राज्यों में सबसे ज्यादा बुवाई हुई है, उनमें क्रमवार मध्यप्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड और कर्नाटक सबसे ऊपर हैं.
अगर बाकी खरीफ फसलों की बात करें तो दलहन की बुवाई में 4.67 फीसदी, मोटे अनाज की बुवाई में 1.77 फीसदी जबकि कपास की बुवाई में 3.24 फीसदी की बढोत्तरी हुई है. चूंकि खरीफ की ज्यादातर फसलों को पानी की जरुरत पड़ती है. लिहाजा इस साल हुई अच्छी मॉनसून की बारिश भी रिकॉर्ड खेती के पीछे एक बड़ा कारण है. 1 जून से 2 सितंबर के बीच देशभर में 795 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है जबकि पिछले साल 730 मिलीमीटर ही दर्ज हुई थी.
लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई थी बुवाई इस साल हुई रिकॉर्ड बुवाई की उपलब्धि इसलिए बड़ी है क्योंकि जब मई जून में खरीफ फसलों का सीजन शुरू हो रहा था तब देश में लॉकडाउन की स्थिति थी और कहीं भी आना जाना बेहद कठिन था. ऐसे में सरकार ने ये फैसला लिया कि कृषि उत्पादों से जुड़ी सारी गतिविधियां शुरू करने की इजाजत दी जाए. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खेती करने की भी इजाजत दे दी गई. जाहिर है कि अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के उलट कृषि क्षेत्र पर कोरोना महामारी का कोई असर नहीं हुआ है.
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बीज, कीटनाशक, उर्वरक, मशीनरी और ऋण जैसी लागत सामग्रियों की समय पर उपलब्धता से महामारी के कारण लॉकडाउन की स्थिति के बावजूद बड़े इलाके में बुवाई संभव हुई है. तोमर ने कहा कि समय पर कार्रवाई, तकनीकों को अपनाने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का श्रेय किसानों को जाता है.
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