लखनऊ: मायावती के समर्थन ने तो अखिलेश यादव को जीत दिला दी लेकिन अब बारी उनके रिटर्न गिफ्ट देने की है. अखिलेश यादव के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के चुनाव में बीएसपी को जिताना है. इसके लिए विधायकों के वोट का हिसाब किताब शुरू हो गया है. यहां पर 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार है.
कर्नाटक
कर्नाटक की चार सीटों के लिए पांच लोगो ने पर्चा भरा है. इनमें तीन कांग्रेस, एक बीजेपी और एक जेडीएस के उम्मीदवार हैं. राज्य सभा सासंद बनने के लिए एक उम्मीदवार को 44 विधायकों की जरूरत है. इस लिहाज से बीजेपी अपना उम्मीदवार जिता लेगी लेकिन मामला जेडीएस और कांग्रेस मे फंस गया है. कांग्रेस को अपना तीसरा उम्मीदवार जीताने के लिए 10 और वोटो की जरूरत है. जबकि इतने ही वोट जेडीएस को भी अपने उम्मीदवार जीताने के लिए चाहिए.
झारखंड
झारखंड में दो राज्यसभा सीटों के लिए हो रहा चुनाव एक बार फिर रोमांचक होने वाला है. बीजेपी ने इस बार फिर दो उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं कांग्रेस ने जेएमएम के समर्थन से उम्मीदवार दिया है. बीजेपी ने ट्राइबल कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक समीर ओरांव को पहला उम्मीदवार बनाया है, वहीं दूसरे सीट के लिए बिजनेसमैन प्रदीप सोंथालिया को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की तरफ से दो बार के राज्यसभा सांसद रहे धीरज साहू को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के लिए जेएमएम ने समर्थन का एलान किया है. वोटों के गणित पर ध्यान दें तो प्रथम वरीयता में एक उम्मीदवार को 27 वोट चाहिए. बीजेपी के पास अपने 43 विधायकों के अलावा एजेएसयू के चार विधायतक हैं. मतलब 27 के अलावा 20 और वोट हैं. वहीं जेएमएम के पास 18 और कांग्रेस के सात एमएलए हैं जो कि 27 से अब भी दो काम हैं. ऐसे में जेवीएम और निर्दलीयों की जरूरत दोनों पार्टियों को पड़ेगी.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की पांच सीटों के लिए चुनाव होगा. यहां पर राज्यसभा में पहुंचने के लिए एक उम्मीदवार को 37 विधायकों के वोटो की जरूरत है. इस गणित में टीएमसी अपने चार उम्मीदवार आसानी से भेज देंगी और उनके पास 17 वोट बच जाएंगे. यहां पांचवी सीट के लिए लेफ्ट और कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के बीच जंग होगी जिसमें सिघवी को टीएमसी का समर्थन है. सिंघवी की जीत इसलिए तय मानी जा रही है. कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं और उसे ममता के 17 विधायक वोट करेंगे.
तेलंगाना
तेलंगाना की तीन सीटों के लिए चार उम्मीदवार खड़े हैं. एक कांग्रेस और तीन टीआरएस के उम्मीदवार हैं.
जिन राज्यो में निर्विरोध चुने गए सांसद
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव था. तीन उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. जिसमे दो टीडीपी और एक वाइएसआर के उम्मीदवार हैं.
बिहार: यहां छह सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ. दो जेडीयू, एक बीजेपी, दो आरजेडी और एक कांग्रेस के सासंद बने हैं.
छत्तीसगढ़: यहां एक सीट पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है. बीजेपी की सरोज पांडे को निर्विरोध चुना गया.
गुजरात: यहां चार सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया . इसमें दो कांग्रेस और दो बीजेपी के सासंद हैं.
हरियाणा: यहां भी बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध चुना गया है. हरियाणा में राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डी पी वत्स आज निर्विरोध चुने गए.
हिमाचल प्रदेश: यहां से एक सीट थी जिस पर जेपी नड्डा के सामने कोई उम्मीदवार नहीं था.
मध्यप्रदेश: यहां से राज्यसभा की पांच सीटों के लिए निर्वाचन में आज केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत और धर्मेंद्र प्रधान के अलावा तीन अन्य प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी और राजमणि पटेल निर्विरोध निर्वाचित हुए.
राजस्थान: यहां से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के भूपेंद्र यादव, मदनलाल सैनी और डॉक्टर किरोड़ी लाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया.
महाराष्ट्र: यहां राज्यसभा की छह सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया. बीजेपी से विजया रहाटकर ने राज्यसभा उम्मीदवारी की अर्जी वापस ली. उसके बाद रास्त साफ हो गया. बीजेपी से तीन, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना से एक-एक उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए. बीजेपी के प्रकाश जावड़ेकर, नारायण राणे, वी मुरलीधरन तो शिवसेना से अनिल देसाई, कांग्रेस से कुमार केतकर और एनसीपी से वंदना चव्हाण निर्विरोध चुनी गई हैं.
देहरादून: उत्तराखण्ड की एक सीट पर भी कोई विरोध नही था वहां से बीजेपी के अनिल बलूनी सांसद चुने गए.
भुवनेश्वर: यहां की तीनो सीटो पर बीजेडी के उम्मीदवार बिना विरोध के सासंद चुने गए है.