नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूस दौरे के दौरान वहां चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही से मीटिंग की थी. दोनों नेताओं के बीच ये बैठक दो घंटे 20 मिनट तक चली थी. एससीओ से इतर इस बैठक को बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ी भूल बताया है. उनका कहना है कि राजनाथ सिंह को चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के लिए राजी नहीं होना चाहिए था.


एक ट्वीट में सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा, "हमारे अच्छे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चीनी रक्षा मंत्री से मिलने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए था, भले ही वह मिलना चाहते हों. यह सामूहिक निर्णय होना चाहिए था. मेरी निजी राय है कि चीन के रक्षा मंत्री से मिलना बड़ी भूल थी."


इसके बाद आज सुब्रमण्यम स्वामी ने एक और ट्वीट करते हुए चीनी विदेश मंत्री के साथ अगले हफ्ते होने वाली बैठक भी रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा, "भारत को अगले सप्ताह होने वाले चीनी विदेश मंत्री के साथ हमारे विदेश मंत्री की प्रस्तावित बैठक को रद्द कर देना चाहिए. यह बेकार है क्योंकि भारत चाहता है कि चीन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर दिया जाए, लेकिन चीन इसे भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देता है. इसलिए खाली नहीं करेगा."





राजनाथ ने चीनी समकक्ष से कहा- LAC का सम्मान करें, यथास्थिति बदलने की एकतरफा कोशिश न करें
पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सख्ती से सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं करना चाहिए.


मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्चस्तरीय आमने-सामने की बैठक हुई. मास्को में शुक्रवार को हुई बैठक में सिंह ने वेई से कहा कि पैंगोंग झील समेत गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की यथाशीघ्र पूर्ण वापसी के लिए चीन को भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए. यह बैठक आठ राष्ट्रों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक के इतर हुई.


आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सिंह ने वेई को दृढ़तापूर्वक बताया कि भारत “अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा” और देश की संप्रभुता व अखंडता की “हर कीमत” पर रक्षा करने के लिये प्रतिबद्ध है.


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