नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने आदेश दिया है कि विकलांग सैनिकों को मिलने वाली पेंशन पर अब इनकमटैक्स लगेगा. सिर्फ वे सैनिक जो अपनी विकलांगता के कारण सेना में सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं और विकलांगता के चलते नौकरी छोड़नी पड़ रही है उन्हें ही इस आयकर छूट का लाभ मिल पायेगा. एबीपी न्यूज के पास 24 जून को वित्त मंत्रालय के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स द्वारा जारी किए गए आदेश की कॉपी भी है.
इस मुद्दे को आज लोकसभा में उठने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आश्वसान दिया कि वो इस मामले को देखेंगे. सीबीडीटी के आदेश के मुताबिक, जो विकलांग सैनिक निश्चित सेवाएं देने के बाद सेना से रिटायर हुए हैं उन्हें भी इस इनकमटैक्स की छूट का लाभ नहीं मिल पायेगा.
वित्त मंत्रालय के एक अंडर-सेक्रेटेरी द्वारा जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक, सन् 1922 यानि ब्रिटिश-काल से ही विकलांग-सैनिकों को आयकर में छूट का लाभ मिल रहा था. इसके बाद वर्ष 1970 और 2001 में भी इस कानून को मान लिया गया था. लेकिन अब इस मामले को फिर से सीबीडीटी बोर्ड ने रिव्यू किया है, जिसमें पाया गया है कि 1922 के कानून में (इनकमटैक्स एक्ट 1922) उन विकलांग सैनिकों की पेंशन को आयकर से छूट दी गई है जो पूरी तरह से विकलांग हो गए हैं और अपनी सेवाएं थलसेना, वायुसेना और नौसेना को नहीं दे पा रहे हैं. ये छूट जवानों और अधिकारियों को समान रूप से मिलती रहेगी.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मानना है कि ऐसा देखा गया है कि सैनिक खासतौर से उच्चपद पर बैठे सैन्य-अधिकारी अपनेआप को विकलांग दिखाकर इस रियायत का फायदा उठा रहे थे. रिटायरमेंट से ऐन पहले ये अधिकारी अपनेआप को बहरा दिखाकर ये किसी और कारण से विकलांग दिखाकर इस छूट का फायदा ले रहे थे. सेना में इस तरह के विकलांग-अधिकारियों के किस्से काफी मशहूर हैं. बताते हैं कि एक थलसेनाध्यक्ष और एक सहसेना-प्रमुख ने अपने आप को रिटायरमेंट से ठीक पहले अपनेआप को विकलांग घोषित करा लिया था. उनकी विकलांगता किसी युद्ध या एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन के चलते नहीं थी बल्कि 'लाइफ-स्टाइल' विकलांगता थी.
लेकिन वहीं कुछ ऐसे सैनिक हैं जो मानते हैं कि कुछ लोगों की सजा सरकार पूरी फौज को नहीं दे सकती है. क्योंकि सेना में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब सैनिक किसी युद्ध या फिर आंतकियों से मुठभेड़ में हाथ-पैर इत्यादि गंवाने के बाद भी अपने सेवाएं देते रहते हैं. तो क्या ऐसे विकलांग सैनिकों को इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए. माना जा रहा है कि सरकार ने लाइफ-स्टाइल विकलांगता (जैसे बहरापन होना) को युद्ध की विकलांगता के साथ जोड़ दिया है.
आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही मौजूदा थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पुणें में विकलांग-सैनिकों के कार्यक्रम के दौरान लाइफ-स्टाइल विकलांगता को नॉन-फैटेल बैटेल-कैज्युलटी से अलग करने पर जोर दिया था.