नई दिल्ली: पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कई फैसले पलट चुकी राजस्थान की गहलोत सरकार ने अब स्कूली पाठ्यक्रम में वीर सावरकर की जीवनी वाले पाठ में बदलाव किया है. तीन साल पहले तत्कालीन बीजेपी सरकार ने जो सिलेबस तैयार किया था उसमें वीर सावरकर को महान देशभक्त, वीर और क्रांतिकारी बताया था लेकिन कांग्रेस सरकार की तरफ से किये गए बदलाव में सावरकर को ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है.

राजस्थान में सत्ता में आने के बाद प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा का काम शुरु किया था. इस काम के लिए दो कमेटियों को गठन किया गया. माध्यमिक शिक्षा के सिलेबस की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी कक्षा दस में पढ़ाये जाने वाले पाठ "अंग्रेजी साम्रज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष" में कई महापुरुषों की जीवनी शामिल है.

इसी पाठ में वीर सावरकर की जीवनी भी शामिल है, नए बदलाव में बताया गया है कि वीर सावरकर ने जेल में दी जाने वाली यातनाओं से तंग आकर ब्रिटिश हुकूमत से दया की मांग की थी. इसके अलावा कमेटी ने इस पाठ में अन्य बदलाव भी सुझाये है. राज्य के सीएमअशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि इसमें कोई विशेष बात नहीं है. सिलेबस की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई जाती है और वो अपना काम करती है.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, ''वीर सावरकर जैसे लोग जिनका स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था, उन्हें किताबों में महिमामंडित किया गया. हमारी सरकार आई तब हमने कमेटी का गठन किया था जिसने चीजों का विश्लेषण किया, अब जो कुछ भी किताबों में है वो पक्के सबूतों पर आधारित है.''