मुंबई: आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) का इंजन दौड़ेगा या रुक जाएगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है. चुनाव होने में अब लगभग एक महीने का समय बचा है लेकिन राज ठाकरे ये फैसला नहीं ले पा रहे हैं कि मैदान में उतरना है या नहीं. इस पर चर्चा के लिए बैठक भी बुलाई गई तो पार्टी नेताओं के दो मत सामने आए. ऐसे में अब अंतिम फैसला राज ठाकरे ही लेंगे. हालांकि आज हुई बैठक से ऐसे संकेत मिले की पार्टी के विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना कम ही है.

आज राज ठाकरे के घर एमएनएस के नेता विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की दिशा पर चर्चा करने पहुंचे थे. इसमें सवाल पूछा गया कि चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं, जिसका जवाब नेताओं से मिल नहीं पाया. कुछ ने कहा कि चुनाव लड़ना चाहिए तो कुछ ने इसके खिलाफ अपनी राय रखी. नेताओं की इस राय के बाद राज ठाकरे पार्टी की स्थिति समझ गए और अगली बैठक में अपना निर्णय देने की घोषणा कर दी. सूत्रों के मुताबिक राज ठाकरे ने आज हुई बैठक में कोई निर्णय तो नहीं लिया लेकिन आर्थिक मंदी का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ने के संकेत दिए.

राज ठाकरे ने बैठक में कहा, ''देश की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए अपने पैसे संभाल कर रखिए और सोच समझ कर खर्च कीजिए. ईवीएम पर होनेवाले चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे. अगर पार्टी ने चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारे तो फंड हासिल करना मुश्किल होगा.''

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे राज ठाकरे के लिए ये चुनौती भरे दिन हैं. विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत लगाने का उम्मीद पर ही राज ठाकरे ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा लेकिन आज भी माहौल उनके लिए अनुकूल नहीं है. सूत्रों के मुताबिक आज हुई बैठक में कुछ नेताओं ने कहा, ''चुनाव लड़ने में करोड़ों रुपये डालकर अगर हारना ही है तो चुनाव लड़ने से क्या फ़ायदा. बीजेपी का ईवीएम के जोर पर सत्ता में आना तय है तो ऐसे में चुनाव लड़ने का निर्णय सही नहीं होगा.''

वहीं पार्टी के नेताओं का एक धड़ा चुनाव लड़ने के पक्ष में था. इन नेताओं ने राज ठाकरे से कहा कि चुनाव नहीं लड़े तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा. वे पार्टी से दूर हो सकते हैं. हम एक राजनीतिक पार्टी है और हमें चुनाव में जनता के सामने अपना विकल्प रखना चाहिए. दोनों ही पक्षों की राय सुनने के बाद ये बैठक बेनतीजा रही और राज ठाकरे अगले दो तीन दिनों में अपना फ़ैसला सुनाने की बात कही.

वरिष्ठ पत्रकार अभय देशपांडे के मुताबिक राज ठाकरे के पास तीन विकल्प हैं. एक कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन कर चुनाव लड़ना. दूसरा अकेले चुनाव लड़ना और तीसरा केवल बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारना जिससे उनका वोटबैंक उनके साथ जुड़ा रहे.

हाल ही में राज ठाकरे ने ईवीएम के विरोध में सभी विरोधी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश की. राज ठाकरे की कांग्रेस-एनसीपी से हाल में हुई नज़दीकीयों को देख ये अटकलें लगाई जा रही थी कि एमएनएस गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ेगी. लेकिन उसपर भी अब ससपेंस बना हुआ है. लगातार मिल रही हार से पार्टी लगभग टूट चुकी है. राज ठाकरे किसी तरह अपनी डूबती नईया को किनारे ले जाने की कोशिश है लेकिन हालात ऐसा होने नहीं दे रहे हैं. ऐसे में राज ठाकरे को इस संकट से बाहर आने के लिए एक संजिवनी की जरूरत है.