कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आरोप लगा रहें हैं कि भाजपा के दबाव में चुनाव आयोग मतदाता सूची से विपक्षी वोटरों के नाम बड़े पैमाने पर हटा रहा है. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में मतदाता सूची में गड़बड़ियां सामने आई हैं. इस पर चुनाव आयोग ने शुक्रवार (19 सितंबर, 2025) को आधिकारिक बयान जारी देते हुए उनके आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि मतदाता सूची में नाम हटाने या जोड़ने की प्रक्रिया पूरी तरह कानून सम्मत है.

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आयोग ने साफ किया है कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन फॉर्म-7 भरकर मतदाता सूची से नाम हटाने का आवेदन दे सकता है, लेकिन इससे नाम अपने आप डिलीट नहीं हो सकता है. नियमों के तहत संबंधित मतदाता को नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर दिया जाता है और केवल जांच के बाद ही नाम हटाने की अनुमति मिलती है.

कर्नाटक के आलंद मामले को लेकर चुनाव आयोग का बयान

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कर्नाटक के आलंद मामले का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि साल 2023 में वहां 6,018 आवेदन नाम हटाने के लिए प्राप्त हुए थे. जांच में केवल 24 आवेदन सही पाए गए, जबकि बाकी 5,994 आवेदन फर्जी थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए आलंद पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई और जांच शुरू हुई. इसी तरह महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजुरा में 7,792 नए मतदाता आवेदन आए थे, जिनमें से 6,861 अमान्य पाए गए और खारिज कर दिए गए.

आयोग ने बताया कि इन मामलों की जांच पुलिस की ओर से की जा रही है और चुनाव आयोग लगातार जांच एजेंसियों को आवश्यक दस्तावेज और जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आयोग का कहना है कि उसकी प्राथमिकता हर योग्य नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करना और अयोग्य प्रविष्टियों को हटाना है.

लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अविश्वास 

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची की तैयारी एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसे लेकर बेबुनियाद आरोप लगाने से केवल मतदाताओं में भ्रम और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अविश्वास बढ़ता है. आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे जिम्मेदारी से बयान दें और मतदाता सूची जैसे संवेदनशील विषय पर तथ्यहीन आरोपों से बचें.

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