नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव में जहां केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने की पूरी कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी मे अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं. राहुल गांधी ने गल्फ न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में इस ओर इशारा किया है कि गठबंधन के नाम पर वे किसी तरह की क़ुर्बानी देने को तैयार नहीं हैं. इसके अलावा उन्होंने उन्होंने पिछले पांच वर्षों में भारत के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधे संवाद की न होने पर भी दुख जताया. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो उनकी सरकार राफेल सौदे की जांच करेगी. राहुल गांधी ने इस इंटरव्यू में अपनी शादी को लेकर भी जवाब दिया

कांग्रेस को कम न आंका जाए

राहुल गांधी ने कहा,''कांग्रेस को कमजोर समझने की ग़लती कोई न करे.'' दरअसल राहुल का इशारा बीएसपी और समाजवादी पार्टी की तरफ़ है. कॉंग्रेस अध्यक्ष की मानें तो यूपी में कुछ ख़ास है कि पार्टी बहुत अच्छा कर सकती है. राहुल गांधी ने आगे कहा,''हमें अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है और यूपी के नतीजे चौंकाने वाले होंगे.''

राहुल गांधी ने कहा,''हम मोदी सरकार को हराने के लिए विपक्ष को एकजुट करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं.लेकिन, मैं फिर से कहना चाहता हूं - यूपी में कांग्रेस को कम आंकना बहुत बड़ी गलती है'' राहुल ने आगे कहा,'' हमारा पहला उद्देश्य नरेंद्र मोदी सरकार को हराना है. ऐसे कई राज्य हैं जहां हम बहुत मजबूत हैं और हम प्राथमिक पार्टी हैं और सीधे बीजेपी का मुकाबला कर रहे हैं. वहीं ऐसे राज्य हैं जहां गठजोड़ संभव हैं - महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, बिहार. इन राज्यों में हम एक गठबंधन सूत्र तैयार कर रहे हैं'

जब शादी को लेकर पूछा गया सवाल

राहुल गांधी ने शादी को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा- अभी मेरा एकतरफा ध्यान यह है कि हम एक वैचारिक युद्ध लड़ रहे हैं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मोदी और आरएसएस भारतीय संस्थानों पर अपनी पकड़ न बनाए. मुझे वर्तमान में काम करना पसंद है और अभी वर्तमान यह है कि राजनीतिक लड़ाई हो रही है. हम अपने सहयोगियों के साथ काम कर रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम एकजुट होकर मोदी सरकार को हराएं.

मैं सबसे सीखता हूं

राहुल गांधी ने कहा मैं अपनी दादी, पिता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे सीखता हूं. मैं एक ओपन सिस्टम की तरह हूं. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया है लेकिन सामान्य तौर पर मैं अपने विरोधियों और दोस्तों से बहुत कुछ सीखता हूं. जब आपका प्रतिद्वंद्वी कुछ कहता है, तो स्वाभाविक प्रतिक्रिया गुस्सा होती है और फिर जब आपको गुस्सा आता है, तो आप जो कुछ भी विरोधी कहते हैं उसे नहीं सुनते हैं. लेकिन मैं क्रोध को दूर करता है. तब मैं सुनता हूं और मैं कहता हूं कि यह दिलचस्प है, वह जो कह रहा है, उसमें कुछ सच्चाई है.पीएम नरेंद्र मोदी में बहुत गुस्सा है और मेरे बारे में वह जो कहते हैं वह गुस्से के रूप में निकलता है.

'पप्पू' शब्द से परेशान नहीं होता

सबसे अच्छा उपहार जो मुझे मिला है वह 2014 में मिला था. मैंने इससे इतना सीखा जितना मैने नहीं सीखा. मेरे विरोधी मेरी जिंदगी को जितना मुश्किल बनाते हैं मै उतना ही मजबूत बनता हूं. मैं इस 'पप्पू' शब्द से परेशान नहीं होता. मैं अपने विरोधियों के हमलों की सराहना करता हूं और मैं उनसे सीखता हूं.

 संयुक्त अरब अमीरात के साथ संबंध पुराना मुझे पूरा विश्वास है कि भारत और यूएई ने जो काम किया है, वह जारी रहेगा. मैं खुद मध्य पूर्व और भारत के बीच संबंधों का बहुत सम्मान करता हूं. यह संबंध सैकड़ों सालों से चला आ रहा है. यह नया नहीं है. इन पुराने रिश्तों को संवारने की जरूरत है. इसलिए, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम संयुक्त अरब अमीरात के साथ संबंध बनाए रखें.

कांग्रेस अकेले लड़ेगी चुनाव !

राहुल गांधी इस जवाब से तय माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने वाली है. राहुल का बयान ऐसे वक्त में आया है जब मायावती और अखिलेश यादव ने चुनावी दोस्ती कर ली है. इस रिश्ते में कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई. सिर्फ़ रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट छोड़ी गई है. ख़बर है कि सोनिया और राहुल गॉंधी के ख़िलाफ़ गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं होगा. वैसे एमपी और राजस्थान में बीएसपी और समाजवादी पार्टी कांग्रेस सरकार का समर्थन कर रही हैं.

आपको बता दें कि पार्टी नेताओं का एक गुट अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ा है. वहीं दूसरा खेमा तो हर हाल में गठबंधन की सवारी करने की जुगाड़ में है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी इसी राय के हैं. उन्होंने एक दिन पहले कहा था कि अलग अलग चुनाव लड़ने पर बीजेपी को फ़ायदा हो जाएगा. लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह का दावा है कि बिना गठबंधन के ही हम अधिक सीटों पर जीतेंगे. वे कहते हैं कि राहुल जी सही कह रहे हैं. मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके पार्टी के एक और नेता भी एकला चलो के फ़ार्मूले को सही मानते हैं.

बता दें कि 2017 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन नतीजों ने तो दोनों पार्टियों के होश उड़ा दिए. ऐसी हार हुई कि एसपी ने कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया.

वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव का मन अब भी कॉंग्रेस से टूटा हुआ है. वे किसी भी हालत में समझौता नहीं करना चाहते हैं. बीएसपी और आरएलडी के साथ मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ने पर फ़ैसला हो चुका है. सीटें भी तय हो चुकी हैं 2009 में कांग्रेस के नेता 21 सीटों पर विजयी रहे थे. किसानों की क़र्ज़ माफ़ी ने वोटों से पार्टी की झोली भर दी थी. वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी से कांग्रेस के 2 और एसपी के पांच सांसद चुने गए थे, जबकि बीएसपी तो अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी.