Rahul Gandhi On Election Commission: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार (07 जून, 2025) को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें चुनावों में मैच फिक्सिंग के उनके आरोपों को खारिज किया है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि चुनाव आयोग को टाल मटोल नहीं करना चाहिए, उनके पूछे गए सवालों का जवाब देना चाहिए. 

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "डियर इलेक्शन कमीशन, आप ​​एक संवैधानिक संस्था हैं. बिचौलियों को बिना हस्ताक्षर के, टाल-मटोल करने वाले नोट जारी करना गंभीर सवालों का जवाब देने का तरीका नहीं है. अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो मेरे लेख में दिए गए सवालों के जवाब दें और इसे साबित करें:  महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा के हालिया चुनावों के लिए समेकित, डिजिटल, मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रकाशित करें, महाराष्ट्र मतदान केंद्रों से शाम 5 बजे के बाद के सभी सीसीटीवी फुटेज जारी करें. चोरी से आपकी विश्वसनीयता सुरक्षित नहीं रहेगी. सच बोलने से आपकी विश्वसनीयता सुरक्षित रहेगी."

क्या है मामला?

राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट’ था. उन्होंने कहा कि यह ‘मैच फिक्सिंग अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और फिर उन जगहों पर भी ऐसा ही किया जाएगा, जहां-जहां बीजेपी हार रही होगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मैच फिक्स किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर हैं. उन्होंने कहा कि जो पक्ष धोखाधड़ी करता है, वो भले ही जीत जाए, लेकिन इससे लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का नतीजों से भरोसा उठ जाता है.

सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर गांधी ने चुनाव में कथित अनियमितता के बारे में चरणबद्ध तरीके से बताया है कि कैसे मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया, मतदान प्रतिशत बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया, फर्जी मतदान कराया गया और बाद में सबूतों को छिपा दिया गया. राहुल गांधी ने लिखा, ‘‘चुनाव की चोरी का पूरा खेल! 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट था.’’

उन्होंने लिखा, ‘‘मैंने अपने लेख में चरण दर चरण विस्तार से बताया है कि कैसे यह साजिश रची गई : चरण 1: निर्वाचन आयोग की नियुक्ति करने वाली समिति पर कब्जा किया गया. चरण 2: फर्जी मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया. चरण 3: मतदान प्रतिशत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया. चरण 4: जहां बीजेपी को जिताना था, वहां टारगेट करके फर्जी मतदान कराया गया. चरण 5: सबूतों को छिपा दिया गया.’’

गांधी ने कहा, ‘‘ये समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं है कि महाराष्ट्र में बीजेपी इतनी बौखलाई हुई क्यों थी. चुनाव में धांधली भी मैच फिक्सिंग की तरह होती है, जो पक्ष धोखाधड़ी करता है, वो भले ही जीत जाए, लेकिन इससे लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का नतीजों से भरोसा उठ जाता है. हर जिम्मेदार नागरिक को सबूतों को खुद देखना चाहिए, सच्चाई समझनी चाहिए और जवाब मांगने चाहिए.’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपने पोस्ट में दावा किया, ‘‘महाराष्ट्र की यह मैच फिक्सिंग अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और और फिर उन जगहों पर भी ऐसा ही किया जाएगा, जहां बीजेपी हार रही होगी.’’

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने क्या कहा?

राहुल गांधी के दावों को खारिज करते हुए निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि मतदाताओं से अनुकूल चुनाव परिणाम नहीं मिलने के बाद चुनाव निकाय को बदनाम करना पूरी तरह बेतुका काम है. चुनाव आयोग ने कहा, "किसी की ओर से प्रसारित कोई भी गलत सूचना चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी के साथ-साथ चुनाव कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वाला होता है, जो इस बड़ी कवायद के लिए अथक परिश्रम करते हैं." उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची को लेकर लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अनादर है. 

चुनाव आयोग का कहना है कि महाराष्ट्र चुनाव में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे के बीच मतदान केंद्रों पर पहुंचे 6,40,87,588 (6.4 करोड़ से अधिक) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि औसतन हर घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए. औसत रुझान के मुताबिक, हो सकता है कि आखिरी 2 घंटों में लगभग 1.16 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया हो.

निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए दो घंटे में मतदाताओं की ओर से 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान के रुख से बहुत कम है.’’ उन्होंने बताया कि वोटिंग हर एक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंटों की मौजूदगी में हुई. उन्होंने बताया कि कांग्रेस उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग अधिकारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के बारे में ‘कोई पुख्ता आरोप’ नहीं लगाया था.

चुनावी आंकड़ों में कथित हेराफेरी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र समेत भारत भर में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं. कानून के मुताबिक, चुनाव से ठीक पहले या हर साल एक बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और इसकी अंतिम प्रति सभी राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है. महाराष्ट्र चुनाव के लिए मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 (9.77 करोड़ से अधिक) मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (संबंधित जिलाधिकारी) के समक्ष केवल 89 अपीलें दायर की गईं और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी) के समक्ष केवल एक अपील दायर की गई.

निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए यह पूरी तरह स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कराने से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल को कोई शिकायत नहीं थी.’’

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