Rahul Gandhi News: लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद सोमवार (7 अगस्त) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी संसद पहुंचे. 136 दिन बाद उन्होंने संसद में वापसी की है. इस दौरान, उनके साथ उनकी मां और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेता भी थे. मोदी सरनेम मामले में दोषसिद्धी पर रोक लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल की सदस्यता बहाल कर दी.

जैसे ही राहुल गांधी संसद पहुंचे तो कांग्रेस और उसके कुछ अन्य सहयोगी दलों के सांसदों ने उनका स्वागत किया और उनके समर्थन में नारेबाजी की. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पार्टी के उप नेता प्रमोद तिवारी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन और कई अन्य विपक्षी सांसदों ने सदन के प्रवेश द्वार पर राहुल गांधी का स्वागत किया.

विपक्षी सांसदों ने समर्थन में लगाए नारेविपक्षी सांसदों ने नारे लगाते हुए कहा कि 'राहुल गांधी संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं' और 'राहुल गांधी जिंदाबाद' के नारे भी लगाए. सदस्यता बहाल होने के साथ ही राहुल गांधी का ट्विटर बायो भी अपडेट हो गया. राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट बायो को 'अयोग्य सांसद' से 'संसद के सदस्य' के रूप में अपडेट कर दिया है,  वहीं, राहुल गांधी के सदन पहुंचते ही भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें निशान पर ले लिया. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल पर कटाक्ष किया, 'न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि एक न्यूज पोर्टल को पैसा मिला. यह क्लिप देशद्रोही और टुकड़े-टुकड़े गैंग ने रखवाया. चीन से कांग्रेस को पैसा मिलता रहा है.' 

लोकसभा सचिवालय ने बहाल की सदस्यतापीटीआई के मुताबिक, सचिवालय ने अधिसूचना में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 अगस्त के फैसले के मद्देनजर राहुल गांधी की अयोग्यता संबंधी 24 मार्च की अधिसूचना का क्रियान्वयन आगामी न्यायिक फैसले तक रोका जाता है. कोर्ट ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए, मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में 2019 में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी. जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस  संजय कुमार की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया, सिवाय इसके कि उन्हें अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी.

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