नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई को दस अक्तूबर तक स्थगित कर दी है. इस जनहित याचिका में राफेल लड़ाकू विमानों के लिये 23 सितंबर, 2016 को हुये समझौते पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है. यह डील भारत और फ्रांस के बीच हुई है. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा तथा न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

याचिका पर सुनवाई उस वक्त स्थगित कर दी जब याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इसके लिये कोर्ट से अनुरोध किया. याचिकाकर्त्ता ने कहा कि वह कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करना चाहते हैं. न्यायमूर्तियों की पीठ ने कहा, ‘‘ आपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए स्थगन का अनुरोध करने वाला पत्र दिया था. अब आप कह रहे हैं कि आप अतिरिक्त दस्तावेज पेश करना चाहते हैं. हम सिर्फ मामले को 10 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर रहे हैं.’’

राफेल सौदाः कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछा- अगर विमान UPA से सस्ता खरीदा तो 126 के बजाए 36 ही क्यों?

याचिकाकर्तता मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान समझौते में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व रक्षा मंत्री (अब गोवा के मुख्यमंत्री) मनोहर पर्रिकर, कारोबारी अनिल अंबानी और फ्रांस की हथियार बनाने वाली कंपनी डसाल्ट पर मुकदमा चलाने के साथ-साथ रकम वसूल करने का भी अनुरोध किया गया है.

राफेल सौदे की स्वतंत्र जांच और इसकी कीमत का संसद में खुलासा करने का अनुरोध करते हुये एक याचिका कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला ने भी दायर की थी. यह याचिका तहसीन पूनावाला ने इसी साल मार्च में कोर्ट में दायर की थी. कांग्रेस नेता ने इस याचिका में केन्द्र को निर्देश देकर यह पूछने का अनुरोध किया था कि केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से इस सौदे की मंजूरी क्यों नहीं ली गयी. भारतीय वायु सेना ने 126 लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव अगस्त 2007 में रखा था और इसके लिये निविदा आमंत्रित की गयी थी. इसके बाद विभिन्न विमान निर्माता कंपनियों को इसके लिये बोली लगाने की प्रक्रिया में हिस्सा लेने का निमंत्रण दिया गया था.