नई दिल्ली: एनपीए की समीक्षा कर रही एक संसदीय समिति ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा एनपीए पर दिए गए जवाब की वस्तुस्थिति जानने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखकर जानकारी मांगी है. समिति ने ऊर्जा और कोयला मंत्रालय से भी इस मामले में जानकारी देने को कहा है.
मुरली मनोहर जोशी हैं समिति के अध्यक्ष बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय प्राक्कलन समिति यानि Estimates Committee ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ये पत्र लिखा है. पीएमओ को पत्र आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के एक लिखित जवाब के बाद लिखा गया है. इस जवाब में राजन ने एनपीए के बारे में एक विस्तृत जानकारी और विश्लेषण दिया गया है. रघुराम राजन ने एनपीए की शुरुआत से लेकर उसके कारण और उसे ख़त्म करने के उपाय का पूरा ब्यौरा अपने लिखित जवाब में दिया है.
'ग़बन करने वालों की सूची पीएमओ को सौंपी' अपने लिखित जवाब में अन्य बातों के अलावा रघुराम राजन ने इस बात का भी ख़ुलासा किया था कि उन्होंने बैंकों से कर्ज़ लेकर ग़बन करने वाले हाई प्रोफ़ाइल लोगों की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी. राजन के मुताबिक़ उन्होंने इस सूची में शामिल लोगों में से कम से कम कुछ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की सिफ़ारिश की थी.
अपने लिखित जवाब में राजन ने ये तो नहीं बताया कि उन्होंने आख़िर किसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उनके कार्यालय को ये सूची भेजी थी लेकिन ये ज़रूर कहा कि इस मामले में कोई एक्शन लिया गया या नहीं उन्हें नहीं पता. रघुराम राजन 4 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016 तक रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे थे. ज़ाहिर है प्राक्कलन समिति ने पीएमओ से जो जानकारी मांगी है उसमें इस सूची में शामिल लोगों का ब्यौरा भी मांगा गया है.
'2006 से 2008 के बीच सबसे ज़्यादा ख़राब लोन' रघुराम राजन ने अपने जवाब के शुरूआत में ही एनपीए पैदा होने के कारणों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए- 1 सरकार में 2006 से 2008 के दौरान बैंकों से बड़ी संख्या में ऐसे कर्ज़ दिए गए जो चुकता नहीं किए जा सके. इसके चलते बैंकों का एनपीए बढ़ना शुरू हुआ. हालांकि, राजन के मुताबिक उस वक़्त देश के बढ़ते विकास दर के चलते बैंकों ने आंखें मूंद कर क़र्ज़ देना शूरु कर दिया और क़र्ज़ लेने वाले कई लोग अलग-अलग कारणों से क़र्ज़ नहीं चुका पाए. इनमें कइयों ने तो जानबूझकर और ग़लत नियत से क़र्ज़ नहीं लौटाया.
समिति में रहे हैं मतभेद वैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति में इस मुद्दे पर मतभेद भी रहे हैं. समिति में शामिल बीजेपी के कई सदस्य इस बात के विरोध में रहे हैं कि समिति को एनपीए के मामले की समीक्षा करनी चाहिए. उनका तर्क़ था कि वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति इस मामले पर पहले से ही विचार कर रही है. 11 जुलाई को जब इस समिति की बैठक में देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पेश हुए थे उस दौरान मतभेद के चलते समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बैठक से वाकआउट कर दिया था.