नई दिल्ली: पूर्णिया हथियार मामले में एनआईए ने मंगलवार को आरोपी चंद्र विजय प्रताप उर्फ सुशील के ठिकानों और उसकी कंपनी शानमारियो फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड पर छापेमारी की. इस दौरान एनआईए को लेनदेन संबंधी अनेक संदेहास्पद दस्तावेज बरामद हुए हैं. आरोप है कि विजय प्रताप उर्फ सुशील ने इस मामले में आतंकवादी संगठन एनएससीएन आईएम समेत अनेक संदेहास्पद लोगों से बड़े पैमाने पर पैसों का लेनदेन किया था.
क्या था मामला?
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला 7 फरवरी 2019 को सामने आया था, जब एक एसयूवी गाड़ी से पूर्णिया पुलिस ने बड़े पैमाने पर हथियार बरामद किए थे. पुलिस ने मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनके नाम सूरज प्रसाद, वी काहोरगम और क्लियरसन काबो बताए गए. इस गाड़ी से पुलिस को दो ग्रेनेड लॉन्चर, एक एके-47 राइफल, 1800 कारतूस समेत हथियारों का जखीरा मिला था.
एनआईए को यह मामला सौंपे जाने के बाद फिर से एफआईआर दर्ज की गई और जांच के दौरान 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन आरोपियों के नाम त्रिपुरारी सिंह, मुकेश सिंह, निंगखान सनघटम और संतोष सिंह बताए गए हैं. एनआईए ने 7 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी कोर्ट के सामने पेश किया था.
आतंकवादी संगठन कर रहा था हथियारों की तस्करी
एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक जांच के दौरान पता चला कि आतंकवादी संगठन एनएससीएन आईएम के आतंकियों को बिहार का एक हथियार विक्रेता बड़े पैमाने पर हथियार सप्लाई कर रहा था. इस हथियार डीलर से निंगखान सनघटम के संपर्क बताए जाते हैं, जो खुद को एनएससीएन आईएम का एक स्वयंभू मेजर बताता था.
एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक आरोपी विजय प्रताप और निंग खान के बीच बड़े पैमाने पर लेन-देन के तथ्य मिले थे जिसके आधार पर आज विजय प्रताप और उसके पटना स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई. इस छापेमारी के दौरान लेनदेन के अनेक अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया है. मामले की जांच अभी भी जारी है.