नई दिल्लीः देश में भुखमरी एक गंभीर समस्या है. नीति आयोग की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश के कई इलाकों में लोग दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं. आयोग के आंकड़े बताते हैं कि कुछ राज्यों को छोड़कर सेंट्रल भारत के लगभग सभी राज्यों के लोग भुखमरी के शिकार हैं.

नीति आयोग के मुताबिक, मात्र पांच ऐसे राज्य हैं जो कि भूख की समस्या पर सबसे अच्छा काम कर रहे है. इन पांच राज्यों में पंजाब, केरल, गोवा, मिजोरम और नागालैंड है. सबसे निचले स्तर पर झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मेघालय के अलावा राजस्थान में भी लोग भूख की समस्या से निजात नहीं पा रहे हैं.

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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक भूख की समस्या से लड़ने में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत कई राज्य ऐसे हैं जिनकी स्थिति ठीक-ठाक बनी हुई है. भुखमरी खत्म करने को लेकर राज्य सरकार तमाम दावे करती है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाली रह जाती है. भुखमरी के मोर्च पर सफल न होने के पीछे एक कारण राज्यों और देश की आबादी भी है.

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र ने भुखमरी खत्म करने के लिए साल 2030 तक डेडलाइन तय की है. भारत की स्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से तय लक्ष्य को हासिल करने में काफी मुश्किल होगा.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल 2030 तक एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए लक्ष्य 23.57 रखा गया है जबकि भारत इस लक्ष्य से काफी दूर 50.30 पर अटका हुआ है. पांच साल तक के बच्चों के विकास को अगर ध्यान में रखें तो यूएन के मुताबिक यह लक्ष्य 21.03 है जबकि भारत अभी भी इससे काफी दूर 38.40 तक ही पहुंच पाया है.

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