भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पुणे के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 22वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने छात्रों को संबोधित भी किया. उन्होंने छात्रों से बदलती दुनिया की आर्थिक और राजनीतिक ताकतों से जुड़ी बातें की. उन्होंने कहा कि ताकत का क्रम अब पूरी तरह बदल चुका है. आज वैश्विक स्तर पर एक नहीं, कई ऐसे केंद्र उभर गए हैं, जहां से शक्ति और प्रभाव काम कर रहा है. ऐसे में कोई भी देश चाहे कितना शक्तिशाली क्यों न हो, हर मुद्दे पर अपनी इच्छा नहीं थोप सकता. 

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विदेश मंत्री ने कहा, 'हम सोचते हैं, कि महाभारत शक्ति, संघर्ष और परिवार से जुड़ी कहानी है. हम स्वाभाविक रूप से रामायण की सारी जटिलताओं, चालों, रणनीति और गेम प्लान के बारे में नहीं सोचते हैं. तो असल में, जब किसी ने मुझसे पूछा कि आपकी नजर में सबसे महान डिप्लोमैट कौन है?, और उस समय मैंने कहा कि भगवान कृष्ण और हनुमान. क्योंकि, एक महाभारत के महान डिप्लोमेट हैं, तो दूसरे रामायण के महान डिप्लोमेट हैं.' 

उन्होंने कहा, 'हनुमान को असल में जानकारी लेने के लिए श्रीलंका भेजा गया था. वह जानकारी जुटाने में कामयाब रहे. वह माता सीता से मिलने के लिए वहां तक जा पाए. वह उनका मनोबल बढ़ाने में कामयाब रहे. अब अगर ऐसे व्यक्ति को आप दुनिया के सामने पेश नहीं करते हैं, तो मुझे लगता है कि हम अपनी संस्कृति के साथ बहुत बड़ा अन्याय करते हैं.'

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पड़ोसी देशों पर क्या बोले जयशंकरभारत के विदेश मंत्री ने पड़ोसी मुल्कों के रिश्तों को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यूरोप हमारे लिए एक बेहद अहम साझेदार है. इसके साथ हमें और अधिक प्रयास करने की जरूरत है. जब हम अपने पड़ोस की बात करते हैं, तो हमारे पड़ोसी देश हमसे आकार में छोटे हैं. हर एक किसी न किसी रूप में हमसे जुड़ा हुआ है. वहां भी राजनीति होती है. हालात कभी ऊपर जाते हैं, तो कभी नीचे आते हैं. कभी वे हमारी तारीफ करते हैं, तो कभी आलोचना. क्योंकि सच यह है कि उनकी घरेलू राजनीति में हम खुद एक बड़ा मुद्दा बन जाते हैं. 

श्रीलंका में आए चक्रवात पर जयशंकर का बयानउन्होंने कहा, पिछले हफ्ते श्रीलंका में एक बड़ा चक्रवात आया था. उसी दिन हम मदद लेकर पहुंचे. कोरोनाकाल में पड़ोसियों से पूछिए कि उन्हें टीके कहां से मिले. वे भारत से मिले. जब यूक्रेन युद्ध में भारत ने जरूरत के समय मदद पहुंचाई.