भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने पनडुब्बी परियोजना-पी75(आई) पर बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया है. यह बातचीत 23 अगस्त को केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद संभव हो पाई, जब रक्षा मंत्रालय और एमडीएल को 70,000 करोड़ रुपये की ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ योजना के तहत जर्मनी के सहयोग से छह आधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण पर बातचीत शुरू करने की अनुमति दी गई.

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मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए एमडीएल की बोली 16 जनवरी, 2025 को खोली थी. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति और मजबूत होगी. सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड अपने तकनीकी सहयोगी जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) के साथ इस बहु-अरब डॉलर की पनडुब्बी डील में प्रमुख दावेदार के रूप में उभरी है. रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में ही एमडीएल और टीकेएमएस के प्रस्ताव को चुना था, जिसके तहत छह पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक से लैस होंगी.

थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के CEO ने क्या कहा?

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थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) के सीईओ ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि कंपनी को प्रोजेक्ट-75(आई) पनडुब्बी परियोजना के लिए भारतीय कंपनियों का तकनीकी साझेदार चुना गया है. उनके अनुसार, यह साझेदारी एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करेगी जो आने वाले सालों में भारत को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बना सकेगा.

रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना का ये है लक्ष्य

रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना का लक्ष्य है कि अगले छह महीनों में कॉन्ट्रैक्ट बातचीत पूरी कर अंतिम मंजूरी प्राप्त की जाए. इसके साथ ही, भारत दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है, जिसमें लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और पनडुब्बी निर्माण केंद्र अहम भूमिका निभाएंगे.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह पहल भारत के लिए नौसेना आधुनिकीकरण, मेड इन इंडिया कार्यक्रम और स्वदेशी तकनीकी क्षमता विकसित करने की दिशा में बड़ी छलांग है. जर्मनी के लिए यह एशिया के सबसे बड़े पारंपरिक पनडुब्बी कार्यक्रमों में सहयोग का प्रतीक है. हाल ही में हुए उच्च-स्तरीय संवाद के बाद, TKMS, MDL और भारतीय प्रतिनिधियों ने रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करने और भारत के नौसैनिक उद्योग को नई ऊंचाई देने का संकल्प लिया. TKMS का लक्ष्य है कि भारत को पनडुब्बी डिजाइन से जुड़ी अहम जानकारी हस्तांतरित की जाए, जबकि MDL इन तकनीकों को आत्मसात कर भविष्य में स्वदेशी पनडुब्बियों के विकास की क्षमता हासिल करे.

प्रोजेक्ट-75(आई): क्या है खास?

  • यह रक्षा मंत्रालय (MoD) की एक बड़ी सैन्य अधिग्रहण परियोजना है.
  • इसके तहत भारतीय नौसेना के लिए डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बियां खरीदी जाएंगी.
  • ये पनडुब्बियां फ्यूल सेल और एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (AIP) से लैस होंगी.
  • परियोजना का उद्देश्य न केवल भारत की नौसैनिक शक्ति बढ़ाना है, बल्कि स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता विकसित करना भी है.
  • यह परियोजना प्रोजेक्ट-75 की अगली कड़ी है, जिसमें डिजाइन और तकनीक को और बेहतर बनाया जाएगा.

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