अमेरिकी विदेश विभाग (US State Department) ने 2021 की मानवाधिकार रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में भारत में मनमानी गिरफ्तारी, ह‍िरासत के दौरान मौत, धार्मिक हिंसा, अभिव्यक्ति की आजादी, मीडिया पर प्रतिबंध, पत्रकारों पर मुकदमे और बहुत ज्‍यादा प्रतिबंधात्मक कानूनों (Restrictive Laws) को लेकर चिंता व्‍यक्‍त की गई है. 


रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इन सभी पाबंदियों के बारे में पहले भी आवाज उठाई जा चुकी है लेकिन बावजूद इसके केंद्र सरकार ने कोई जवाब तलब नहीं किया है. वहीं भारत के अलवा पड़ोसी देश चीन (China) की राजनीतिक व्यवस्था और मानवाधिकार स्थिति का भी जिक्र किया गया है. हालांकि चीन न इस पर सख्‍त लहजे में जवाब दिया है. 


मानवाधिकारों पर इस अमेरिकी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत में स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सरकारी अधिकारी शारीरिक उत्पीड़न और हमलों के माध्यम से महत्वपूर्ण मीडिया आउटलेट्स को "डराने" में शामिल रहे हैं. बता दें कि ह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त व्यक्ति, नागरिक, राजनीतिक, कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद तैयार की जाती है. इस रिपोर्ट को 12 अप्रैल को राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने US कांग्रेस को सौंपी. 


रिपोर्ट के अनुसार भारत में गैर सरकारी संगठनों (NGOs) ने आरोप लगाया कि साल 2021 में सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को डराने-धमकाने के लिए आपराधिक मुकदमे और जांच का इस्तेमाल किया गया. 


दिशा रवि, कव‍ि वरवर राव की हिरासत पर सवाल


इस रिपोर्ट में मनमाने ढ़ंग से हिरासत में लिए जाने के उदाहरण के तौर पर दिशा रवि, कव‍ि वरवर राव, मुनव्वर फारुकी का जिक्र किया गया है. दरअसल फरवरी 2021 में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि, मानवाधिकार कार्यकर्ता हिदमे मरकाम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखा गया था जिसका बार-बार जिक्र किय गया है. 


इसके अलावा रिपोर्ट में इस पर भी डीटेल चर्चा की गई है कि कैसे भीमा कोरेगांव मामले का विरोध करने के मामले में 15 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था जिसमें से ज्यादात्तर कार्यकर्ताओं को जमानत देने से इनकार किया गया. 


रिपोर्ट में 81 साल के कव‍ि वरवर राव और स्टेन स्वामी के मामलों की भी चर्चा की गई है. बता दें कि इन्हें NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कोर्ट ने मेडिकल कंडीशन को देखते हुए मांगी गई जमानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था जिसके कुछ दिनों बाद में फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गई थी. 


पत्रकारों पर नजर रखे जाने का दावा 


मानवाधिकार रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे भारत में मनामने ढंग और गैर कानूनी तरीके से टेक्‍टनोलॉजी की मदद लेकर निजता का उल्‍लंघन किया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में पेगासस मैलवेयर सॉफ्टवेयर की मदद से पत्रकारों के नीजी चैटों पर नजर रखा गया. रिपोर्ट कहा गया है क‍ि हमारे पास ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें सरकार या सरकार के करीबी माने जाने वाले अभिनेताओं ने सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया आउटलेट्स पर कथित तौर पर दबाव डाला या उन्हें परेशान किया, इसमें ऑनलाइन ट्रोलिंग भी शामिल है. 


इसके अलावा रिपोर्ट में ह‍िरासत में हुई मौतों पर सवाल उठाये गए.  मार्च में जारी किए गए नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टॉर्चर के अनुसार साल 2020 में पुलिस हिरासत में 111 लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन में से 82 मौतें कथित यातना कारण हुईं. 


भारत ने दिया जवाब 


मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर भारत ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है. वॉशिंगटन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को अपने यहां मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की याद दिलाई है. टू प्लस टू वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने को लेकर चर्चा हुई लेकिन उसके बाद ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मानवाधिकार पर नसीहत देकर भारत को असहज कर दिया. एंटनी ब्लिंकन ने ये कहा कि अमेरिका भारत सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के मामलों की निगरानी कर रहा है. जिस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पलटवार करते हुए साफ किया कि अमेरिका को लेकर भी हमारी चिंता भी ठीक उसी तरह की है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि द्विपक्षीय वार्ता में मानवाधिकारों के मुद्दों पर चर्चा नहीं की गई.


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