नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में रविवार को प्रर्दशन कर रहे जामिया के छात्रों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गईं. प्रियंका गांधी का धरना सांकेतिक है और उनका धरना खत्म हो चुका है. लेकिन जिस तरह से प्रियंका, मुद्दों को उठाकर लोगों से जुड़ रही हैं वह पार्टी के लिए अच्छे संकेत माने जा रहे हैं.
कांग्रेस के धरने से यह साफ हो गया है कि इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस शांत बैठने वाली नहीं है. सोमवार को जिस तरह से कड़कड़ाती सर्दी में प्रियंका गांधी ने धरना दिया, उससे यह लगने लगा है कि उनकी पार्टी सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में हैं. यह दूसरा मौका है जब प्रियंका गांधी धरने पर बैठी हैं, इससे पहले वो उत्तर प्रदेश के चर्चित सोनभद्र कांड के पीड़ितों के लिए धरने पर बैठी थीं, जिसको लेकर काफी चर्चा हुई थी.
पार्टी में प्रियंका भले ही नई हों, लेकिन राजनीति में वे नई नहीं हैं. जिस तरह से हाल के दिनों में उन्होने घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी है, उससे उनकी राजनैतिक परिपक्वता साफ दिखाई देती हैं. हाल ही में उन्होंने उन्नाव रेप मामले में भी सक्रियता दिखाई थी. उत्तर प्रदेश के कई अन्य मामलों को लेकर भी वे काफी मुखर नजर आ चुकी हैं. ऐसे में उनका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है, यही वजह है कि वे इस मामले को लेकर कड़े तेवर अपना रही हैं.
खास बात ये है कि जिस तरह से प्रियंका घटनाओं पर प्रतिक्रिया दे रही हैं, उससे उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक नया जोश देखा जा रहा है. प्रियंका के बहाने पार्टी एक बार फिर से अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट कर उनमें उत्साह का संचार कर रही है, जिसकी बीते लंबे समय से पार्टी में कमी महसूस की जा रही थी. गांधी परिवार के नेताओं की छवि से इतर प्रियंका अपनी एक अलग छवि बनाकर लोगों के बीच जा रही हैं, उनके मुद्दों को उठा रही है, जिसका फायदा पार्टी को मिल सकता है.