बिहारी अस्मिता का सवाल
72 साल की मीरा कुमार बिहार की रहने वाली हैं. सासाराम से दो बार 2004 से 2014 तक सांसद रही हैं. विदेश सेवा की अधिकारी रह चुकी हैं. सबसे अहम बात ये कि नीतीश कुमार बिहार के उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने की कोशिश करते नही बल्कि विरोध करते दिखेंगे. बिहार की जनता के सामने खड़े होकर ये भी नही कह सकते कि भारत के पहले राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद के बाद किसी बिहारी को राष्ट्रपति बनवाने की उन्होंने पुरजोर कोशिश की. मीरा कुमार और पूरा विपक्ष बिहारी अस्मिता का सवाल उठाकर नीतीश को कठघरे में खड़ा करेगा. नीतीश के पास इसका कोई ठोस जवाब भी नहीं होगा.
बिहार से दलित चेहरा
मीरा कुमार कभी बड़े दलित चेहरा रहे पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. मीरा कुमार ने देश के दो बड़े दलित नेता राम विलास पासवान और मायावती को हरा दिया था. शायद इसी हुनर को देखते हुए सोनिया गांधी ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ इन्हें मैदान में उतारा है. ऐसे में महादलितों की राजनीति करने वाले नीतीश कुमार के सामने मीरा कुमार का विरोध करना महंगा पड़ सकता है.
महिला विरोध
बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने नीतीश कुमार को अपना भारी समर्थन दिया. अब इस चुनाव की बिहार की बेटी बनाम अन्य चुनाव बनाया जा सकता है. ऐसे में नीतीश कुमार का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.
विपक्ष के साथ विश्वासघात!
नीतीश कुमार पर पूरा विपक्ष अब भरोसा करने से कतराएगा. कोविंद के समर्थन के साथ ही नीतीश ने राजनीति में इधर उधर आने जाने की गुंजाइश का रास्ता खुला रखा है. वैसे भी समय समय पर नीतीश के बीजेपी के करीब जाने की खबरें उड़ती रहती हैं. राष्ट्रपति चुनाव के बहाने कांग्रेस की कोशिश 2019 के लिए विपक्षी एकता को मजबूत करने की थी. लेकिन नीतीश की चाल से कांग्रेस की रणनीति चित हो गई है और नीतीश के बीजेपी उम्मीदवार के साथ जाने के साथ ही कांग्रेस का संयुक्त विपक्ष का भी सपना टूट गया.
सियासत शुरू
मीरा कुमार के नाम का एलान होने के बाद बिहार में नीतीश कुमार के गठबंधन के साथी लालू प्रसाद यादव की ओर से बड़ा बयान आया है. लालू ने कहा है कि जेडीयू को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. पुनर्विचार ना करना जेडीयू की बड़ी भूल होगी. लालू यादव ने यह भी कहा कि इस फैसले से गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पूरी डिटेल कॉपी यहां पढ़ें
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