नई दिल्ली: देश की प्रगति में महिलाओं की समान भागीदारी और महिला सशक्तीकरण को केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि उद्योग और कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने ‘तीन तलाक’ और ‘निकाह-हलाला’ जैसी कुप्रथाओं के उन्मूलन को भी जरूरी बताया. संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कोविंद ने कहा, ‘‘महिला सशक्तीकरण, मेरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. नारी का सबल होना और समाज और अर्थ-व्यवस्था में उनकी प्रभावी भागीदारी, एक विकसित समाज की कसौटी होती है. सरकार की यह सोच है कि न केवल महिलाओं का विकास हो, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास हो.’’


महिलाओं के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना जरूरी


राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश में हर बहन-बेटी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ‘तीन तलाक’ और ‘निकाह-हलाला’ जैसी कुप्रथाओं का उन्मूलन जरूरी है. मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि हमारी बहनों और बेटियों के जीवन को और सम्मानजनक और बेहतर बनाने वाले इन प्रयासों में अपना सहयोग दें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि में, महिलाओं को समान रूप से भागीदार बनाने के लिए मेरी सरकार प्रतिबद्ध है. उद्योग और कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के प्रयास किए जाएंगे. साथ ही, सरकारी खरीद में ऐसे उद्यमों को वरीयता दी जाएगी जहां कार्य-बल में महिलाओं की भागीदारी निर्धारित स्तर से अधिक हो.’’


बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से भ्रूण हत्या में आई कमी


रामनाथ कोविंद ने कहा कि महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए,राज्यों के सहयोग से अनेक प्रभावी कदम उठाए गए हैं. महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के दंड अधिक सख्त बनाए गए हैं और नए दंड प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जा रहा है.‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ’ अभियान से भ्रूण हत्या में कमी आई है और देश के अनेक जिलों में लिंगानुपात में सुधार हुआ है. असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों के लिए भी सुविधाओं में बढ़ोतरी को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ‘दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय आजीविका मिशन’ के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ‘राष्ट्रीय आजीविका मिशन’ के तहत ग्रामीण अंचलों की 3 करोड़ महिलाओं को अब तक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया जा चुका है.


लोकसभा के इतिहास में सबसे अधिक 78 महिला सांसद इसबार


हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की बड़ी भागीदारी का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस बार, महिलाओं ने पहले की तुलना में अधिक मतदान किया है और उनकी भागीदारी पुरुषों के लगभग बराबर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में, 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है. कोविंद ने कहा कि ‘उज्ज्वला योजना’ द्वारा धुएं से मुक्ति, ‘मिशन इंद्रधनुष’ के माध्यम से टीकाकरण, ‘सौभाग्य’ योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन, इन सभी का सर्वाधिक लाभ ग्रामीण महिलाओं को मिला है. ग्रामीण क्षेत्र में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के अंतर्गत बने घरों की रजिस्ट्री में भी महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है.


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