नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बीते सत्तर सालों से सिख अपने उन गुरुद्वारों के सेवा की मन्नत मांग रहे थे जो सरहद पार चले गए. इनमें सबसे अहम है गुरुनानक देव के कर्मस्थान करतारपुर का गुरुद्वारा. ये सीमा से नज़र तो आता है लेकिन इस तक पहुंचने का रास्ता भारत-पाकिस्तान रिश्तों की सियासत का शिकार बनता रहा. हालांकि अब सिखों की यह साध पूरी होने का मार्ग बन गया. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को दोनों देशों के बीच करतारपुर गलियारे का शिलान्यास कर दिया.
पंजाब में पाकिस्तान से लगी सीमा के आखिरी गांव डेराबाबा नानक से भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद पर नया गलियारा खोलने की शुरुआत हो गई. यह पहला मौका है जब दोनों देश वीज़ा-मुक्त आवाजाही की किसी परियोजना पर आगे बढ़ेंगे. यानी डेराबाबा नानक से तीर्थयात्री सीधे पाकिस्तान के नारोवाल स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे दर्शन करने जा सकेंगे. करतारपुर गलियारे के शिलान्यास समारोह के दौरान केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अगले चार महीनों में भारत अपनी ओर का रास्ता तैयार कर लेगा.
नितिन गडकरी ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर के लिए चार लेन का यह रास्ता बनाया जाएगा. इसके अलावा तीर्थयात्रियों के लिए एक आधुनिक और सर्व सुविधायुक्त फेसिलिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा. इस परियोजना की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक सबकुछ ठीक चला तो मार्च 2019 तक सरकार की योजना भारत की तरफ इस रास्ते को तैयार कर लेने की है. इतना ही नहीं ज़रूरत पड़ने पर पाकिस्तान को भी इस निर्माण में अगर कोई दिक्कत आते है तो मदद की जा सकती है.
परिवहन मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार करतारपुर गलियारे के लिए डेराबाबा नानक से करीब 4 किलोमीटर लंबी फोर-लेन सड़क बनाई जाएगी जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तक पहुंचाएगी. इसके आगे पाकिस्तान को अपनी ओर करीब साढ़े तीन किमी का रास्ता बनाने होगा. कुल रास्ता करीब सात किमी से कुछ अधिक होगा. भारत की तरफ़ बनने वाली सड़क गुरुदासपुर ही नहीं डेराबाबा नानक को आनंदपुर साहिब और नैनादेवी से भी जोड़ेगी. इस परियोजना के सहारे कोशिश इलाके में पर्यटन को बढाने की है.
गुरदासपुर से डेरा बाबा होकर रामदास तक 150 करोड़ रुपये की लागत से 48 किमी दो लेन शोल्डर सड़क निर्माण का काम अवार्ड हो चुका है. करतारपुर कॉरीडोर के इस शिलान्यास के बाद निर्माण का काम दिसम्बर 2018 तक शुरू हो जाएगा. गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर साहिब कॉरिडोर बन जाने पर पूरे साल इस धार्मिक स्थल तक पहुंचा जा सकेगा.
पाकिस्तान के करतारपुर साहिब जाने के लिए वीजा की जरूरत भी नहीं होगी. हालांकि अभी इस रास्ते को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक बातचीत और रजामंदी के बाद ही यात्रा-प्रकिया का प्रोटोकॉल तय हो सकेगा. योजना तो यहां तक है कि अगर पाकिस्तान के साथ रजामंदी बन जाए तो भारतीय तीर्थयात्री अपने वाहनों से ही गुरुद्वारे तक पहुंच सकेंगे.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया की उनकी सरकार करतापुर गलियारे पर एक भव्य द्वार बनाएगी जिसे करतारपुर द्वार का नाम दिया जाएगा.
भारत के बाद अब नज़रें पाकिस्तान में 28 नवम्बर को होने वाले कार्यक्रम पर हैं जहां पीएम इमरान खान करतारपुर गलियारे का काम शुरु करेंगे. आवाजाही तभी शुरू हो पाएगी जब पाकिस्तान भी अपनी तरफ का रास्ता तैयार कर ले और दोनों मुल्कों के बीच माकूल व्यवस्था पर सहमति बन जाए. पाकिस्तान ने बीते कुछ महीनों में इन परियोजना को लेकर सक्रियता ज़रूर दिखाई है.
भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे को लेकर यूं बातें तो बीते कई सालों से होती आईं. जानकारों का मानना है कि बीते अगर 2008 में 26/11 का मुम्बई आतंकी हमला न होता तो शायद इस रास्ते पर रजामंदी की मुहर काफी पहले ही लग जाती. हालांकि यह रोचक संयोग ही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक सौहार्द और साझी विरासत की गवाही देने वाले करतारपुर साहिब के लिए शिलान्यास हुआ भी तो 26 नवम्बर 2018 को ही. शायद यही करतार की मर्ज़ी है.
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