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Prashant Bhushan Case: CJI की बेंच से मामले की डीलिस्टिंग पर भड़के प्रशांत भूषण, लगाया नियमों के उल्लंघन का आरोप, कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी

Prasanto Bhushan Letter To Supreme Court Registry: प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को पत्र लिखकर कहा है कि नियमों के विपरीत एक मामले को CJI की बेंच से दूसरी पीठ में लिस्ट किया गया है.

Prasanto Bhushan Allegation On A Supreme Court Case: सुप्रीम कोर्ट के चर्चित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है. बुधवार (6 दिसंबर) को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दो वकीलों और एक पत्रकार के खिलाफ मामलों को सूचीबद्ध किए जाने पर शिकायत की है.

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि रजिस्ट्री ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी के समक्ष मामले को लिस्ट करके मनमाने ढंग से सुप्रीम कोर्ट के लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को दरकिनार किया गया है. इन मामलों को माननीय सीजेआई के समक्ष रखा जाना था.

त्रिपुरा से संबंधित है मामला
वकील भूषण में जिस मामले को लेकर यह आरोप लगाया है, वह त्रिपुरा से संबंधित है. नवंबर 2021 में, एक वकील और पत्रकार की सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से सांप्रदायिक हिंसा के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत याचिका दाखिल की गई थी जिसकी सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी. अदालत ने त्रिपुरा राज्य और केंद्र सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें मामले को रद्द करने की मांग की गई थी.

इससे‌ अलावा यूएपीए की धारा 2 (1) (ओ) की वैधता को चुनौती दी गई थी जो 'गैरकानूनी गतिविधि' को परिभाषित करती है. भूषण ने रजिस्ट्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठों ने इसके बाद भी इस मामले में आदेश पारित किए थे.

दूसरी पीठ के समक्ष लिस्ट कर दिया गया मामला
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि यूएपीए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति त्रिवेदी (पीठ के जूनियर न्यायाधीश) की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है. भूषण ने दावा किया कि यह मामलों की स्वचालित सूची के लिए नई योजना के खंड 15 का उल्लंघन है, क्योंकि मामले को सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ का पालन करना चाहिए था.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
बहरहाल, 31 अक्टूबर, 2023 के एक आदेश में, न्यायमूर्ति बोस और त्रिवेदी की पीठ ने निर्देश दिया कि मामले को "उचित पीठ के समक्ष" सूचीबद्ध किया जाए. हालांकि खंड 15 के अनुसार मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध करने के बजाय इसे 29 नवंबर को न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया गया, जो अब पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं.

भूषण ने कहा कि सनी के लिए लंबित मामले वरिष्ठ पीठासीन न्यायाधीश का अनुसरण करते हैं. वरिष्ठ पीठासीन न्यायाधीश के उपलब्ध नहीं होने पर ही उन्हें अन्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाता है. जस्टिस चंद्रचूड़ की उपलब्धता के बावजूद किसी अन्य पीठ में मामले को लिस्ट करने के इस कदम को प्रशांत भूषण ने 'आश्चर्यजनक' करार दिया. संबंधित रजिस्ट्रार से 10 जनवरी तक 'मनमानी में सुधार' करने का अनुरोध किया, जब मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.

भूल नहीं सुधारने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
भूषण ने यह भी अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता को अवगत कराया जाए कि क्या मामले को न्यायमूर्ति बोस या न्यायमूर्ति त्रिवेदी के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कोई विशिष्ट प्रशासनिक आदेश था. ऐसा नहीं करने पर उन्होंने कानूनी कदम उठाने की भी चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ें :अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को सुनाएगा फैसला

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