नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें लगता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर गतिरोध राजनीतिक रूप से नहीं सुलझाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को किसी बिन्दु पर इसमें शामिल होना होगा. इस समस्या का इसके बिना समाधान मुश्किल है. प्रणब मुखर्जी 16वें वीके कृष्णा मेनन स्मारक व्याख्यान में बोल रहे थे. पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि कि जीएसटी को स्वीकार करके केन्द्र और राज्य सरकारों ने कुछ वस्तुओं को लेकर क्रमश: उत्पाद शुल्क और बिक्री शुल्क लगाने को लेकर अपने अधिकारों का त्याग किया है. उन्होंने कहा कि देश में जीएसटी पर बहस चल रही है. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी क्या है? जीएसटी पर कुछ हद तक 29 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपने टैक्स अधिकारों, संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में दिये गये कुछ विषयों का आत्मसमर्पण किया है. भारत सरकार ने उत्पाद शुल्क के संबंध में कर लगाने को लेकर अपनी अधिकारक्षेत्र का त्याग किया है जो केवल केन्द्र के क्षेत्राधिकार में आता था. यह एक समय में भारत के कर राजस्व का प्रमुख हिस्सा था. मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी स्वीकार करते हुए भारत सरकार उत्पाद शुल्क लगाने की अपनी संप्रभु अधिकार जबकि राज्य कुछ वस्तुओं पर बिक्री कर लगाने के अपने अधिकार का आत्मसमर्पण कर रहा है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जीएसटी मामले को राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि कानूनी दिशानिर्देश से ही सुलझाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हो सकता है किसी समय इसे सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला जरूरी होगा. यह भी पढ़ें- थोड़ी राहत के बाद फिर बढ़े तेल के दाम, पेट्रोल पर 18 तो डीजल पर 29 पैसे का इजाफा अमेरिकी CAATSA का कांटा भी नहीं रोक पाया एस-400 मिसाइल सौदे की राह देखें वीडियो-