पणजीः सर्दियों का मौसम आ रहा है और कई लोग गोवा में छुट्टियां मनाने का प्लान बना रहे होंगे. गोवा की आबोहवा जितनी आकर्षक है, उतनी ही दिलचस्प है यहां की राजनीति. अगले साल फरवरी में यहां विधान सभा के चुनाव हो सकते हैं, जिनके लिये तमाम राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि वो भूमिपुत्रों के मुद्दे पर चुनाव लडेगी. हालांकि, भूमिपुत्र शब्द का इस्तेमाल करने से फिलहाल पार्टी बच रही है. मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल गोवा में थे. पत्रकारों से बातचीत में उन्होने ऐलान किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो ऐसा कानून लाया जायेगा कि प्राईवेट सेक्टर में 80 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों को ही दी जाए.


केजरीवाल का कहना था कि गोवा में सरकारी नौकरियों के लिये 15 साल का डोमीसाईल होना और कोंकणी भाषा आना जरूरी है, लेकिन निजी सेक्टर में ऐसा नहीं है. हरियाणा का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि वहां भी सरकार ने स्थानीय लोगों के लिये नौकरियों में 80 फीसदी आरक्षण का कानून लाया है. हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार है. 


जीत के लिए आप लगा रही है जोर


इस बार के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल राज्य में अपना खाता खोलने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और बार-बार गोवा का दौरा कर रहे हैं. दिल्ली के बाद आम आदमी पार्टी को विस्तार की उम्मीद पंजाब और गोवा में नजर आ रही है. आम आदमी पार्टी अगले साल मुंबई महानगरपालिका के चुनाव लडने की भी तैयारी कर रही है.


गोवा में फिलहाल बीजेपी की सरकार है जिसके मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत हैं. राज्य में सत्ता अगले चुनाव के बाद भी टिकी रहे इसके लिये पार्टी पूरी ताकत लगा रही है. बीजेपी ने गोवा का प्रभारी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बनाया है जो दूसरी पार्टी के नेताओं को तोडकर बीजेपी में शामिल कराने के लिये जाने जाते हैं. प्रभारी बनने के बाद फडणवीस पहली बार गोवा में बीते सोमवार और मंगलवार को आये और पार्टी के आला नेताओं के साथ बैठक की.


गोवा की राजनीति रही है जटिल


2 लोकसभा सीटों वाला और 40 विधान सभा सीटों वाला गोवा सियासी तौर पर भले ही एक छोटा राज्य हो लेकिन यहां की राजनीति बड़ी ही जटिल रही है. जबसे गोवा ने केंद्र शासित प्रदेश से राज्य में परिवर्तित हुआ है, तबसे लगातार यहां राजनीतिक अस्थिरता देखने मिल रही है. बीते बीस सालों में कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल नहीं पूरा कर सका है. कुछ मुख्यमंत्री तो महज 18 दिन या 6 दिनों के लिये ही कुर्सी पर रहे. कई बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लग चुका है. यहां के राजनेता का जल्दी जल्दी दल बदलना भी गोवा की राजनीति की एक बड़ी पहचान है. सत्ता में हिस्सेदारी के लिये कई राजनेता अक्सर पार्टी बदल लेते हैं.


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