नई दिल्ली: 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में हिंसा हुई. लाल किले पर तिरंगे का अपमान किया गया, वहीं इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के करीब 394 जवान घायल हो गए. इनमें कुछ अभी अस्पताल में भर्ती हैं. इन्हीं में से एक जवान डीसीपी नॉर्थ के ऑपरेटर कॉन्स्टेबल संदीप भी हैं जो इस हिंसा में बुरी तरह से घायल हो गए थे. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कॉन्स्टेबल संदीप ने बताया कि उस दिन उनकी ड्यूटी डीसीपी नॉर्थ के साथ ही थी. डीसीपी और पुलिस के आला अधिकारी लाल किले पर मौजूद थे तभी किसानों के ट्रैक्टर वहां पहुंचे और बैरिकेड तोड़ते हुए लाल किले के अंदर दाखिल हो गए.
कॉन्स्टेबल संदीप बताते हैं, 'डीसीपी साहब और सारे उच्च अधिकारी वहां पर मौजूद थे. किसान ट्रैक्टर से आए और लाल किले के बैरिकेड को तोड़ते हुए लाल किले के प्रांगण में जाकर खड़े हो गए और काफी संख्या में किसान रेमपेड पर पहुंच गए, जहां से प्रधानमंत्री भाषण देते हैं. वहां पर उनको उतारने के लिए सीनियर अधिकारी उनसे बातचीत कर रहे थे, लेकिन वो लोग नीचे नहीं आ रहे थे और उपद्रव मचा रहे थे.'
संदीप बताते हैं कि फोर्स को लाल किले के अंदर जाने के लिए ऑर्डर दिया गया. स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ रही थी. जब फोर्स ने उपद्रवियों को समझाना शुरू किया तो वो भड़क गए और उन्होंने पुलिस फोर्स पर हमला शुरू कर दिया. संदीप के मुताबिक उपद्रवियों के पास हथियार भी मौजूद थे. किसी के हाथ में लाठी-डंडे थे तो किसी के पास भाले थे. वहां लोगों के पास तलवार भी मौजूद थी. कॉन्स्टेबल संदीप का दावा है कि उपद्रवियों ने नशा भी किया हुआ था.
संदीप ने बताया, 'हजारों की संख्या में लोग थे. हंगामा काफी देर तक चला. पुलिस रोकती रही और वो लोग मारते रहे. कोई समझने के लिए तैयार नहीं था. हमारे उच्च अधिकारी बहुत संयमित तरीके से समझा रहे थे और हमें भी ब्रीफ किया गया था कि बहुत संयम से उनसे बात करनी है ताकि वहां पर जो इनोसेंट लोग हैं उनको किसी तरीके का नुकसान न हो. लाल किला हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, वहां किसी भी तरह की घटना होना राष्ट्र के लिए समस्या बनती है.'
संदीप ने कहा, 'मैं खुद एक किसान का बेटा हूं लेकिन किसान इतने हिंसक नहीं होते. अगर खेत में कोई जानवर भी घुस गया तो हम उसको भी नहीं मारते. मुझे तो नहीं लगता कि किसान कभी मारेगा.' इसके साथ ही संदीप ने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह भी मिलने आए थे. उन्होंने काफी प्रोत्साहित किया और कहा कि आपने बहुत अच्छी ड्यूटी की है. इसके साथ ही उन्होंने जल्द स्वस्थ होकर वापस दिल्ली की सुरक्षा में तैनात होने के लिए कहा.
पुलिस कमिश्नर का संदेश
दरअसल, अमित शाह और दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने घायल पुलिसकर्मियों से मुलाकात की और उनकी पीठ थपथपाई. इसके बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर की तरफ से अपने जवानों के लिए एक संदेश भी साझा किया गया. दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने अपने संदेश में कहा, '26 जनवरी को किसान आंदोलन के उग्र और हिंसक हो जाने पर भी आपने अत्यंत संयम और सूझबूझ का परिचय दिया. हमारे पास बल प्रयोग करने का विकल्प मौजूद था लेकिन हमने सूझबूझ का परिचय दिया. आपके इस आचरण से दिल्ली पुलिस इस चुनौतीपूर्ण आंदोलन से निपट पाई. हम सब इस प्रकार की चुनौतियों का सामना करते आए हैं.'
उन्होंने कहा, 'आपकी मेहनत और कार्यकुशलता से ही किसान आंदोलन की चुनौती का हम डटकर मुकाबला कर पाए हैं. किसान आंदोलन में हुई हिंसा में हमारे 394 साथी घायल हुए हैं. कुछ का इलाज अस्पताल में अभी चल रहा है. मैंने खुद घायल साथियों से अस्पताल में पहुंचकर उनका हालचाल जाना. सबको अच्छा उपचार उपलब्ध हो रहा है. दिल्ली पुलिस उनके अच्छे स्वास्थ्य और उपचार के लिए प्रतिबद्ध है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आगे आने वाले कुछ दिनों हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं. इसलिए हमें सचेत रहने की आवश्यकता है. हम सब को अपना धैर्य और अनुशासन बनाए रखना है. मैं आपके संयम और धैर्य के लिए धन्यवाद देता हूं.'
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