प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर को उनके 'शहीदी दिवस' पर श्रद्धांजलि दी और उनके न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के विचारों को याद किया. साल 1621 में जन्मे नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर 1675 में दिल्ली में शहीद हो गए थे.


पीएम मोदी ने पंजाबी भाषा में किया ट्वीट


पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन साहस और करुणा का प्रतीक है. महान श्री गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर मैं उन्हें नमन करता हूं और समावेशी समाज के उनके विचारों को याद करता हूं.’ प्रधानमंत्री ने सिख गुरु को श्रद्धांजलि देते हुए पंजाबी भाषा में भी ट्वीट किया.





सिखों के नौवे गुरु थे श्री गुरुतेग बहादुर


बता दें कि श्री गुरु तेग बहादुर, सिख धर्म के दस गुरुओं में से नौवें गुरु थे. वह 17वीं शताब्दी (1621 से 1675) के दौरान रहे और उन्होंने सिख धर्म का प्रचार किया. वे दसवें गुरु, गोविंद सिंह के पिता भी थे. गुरु के रुप में उनका कार्यकाल 1665 से 1675 तक रहा. उन्होंने पूरा उत्तर भारत और पूर्वी भारत का भ्रमण कर धर्म का प्रचार किया. श्री गुरु तेग बहादुर ने मुगल साम्राज्य के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उन्होंने अपने अनुयायियों के विश्वास और धार्मिक स्वतंत्रता व अधिकारों की रक्षा की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया था. इस कारण सम्मान के साथ उन्हें हिंद दी चादर भी कहा जाता है. श्री गुरु तेग बहादुर को विश्व के इतिहास में सर्वोच्च सथान हासिल है.


सदैव किसी के साथ अन्याय न करने का दिया संदेश


श्री गुरु तेग बहादुर जी ने हमेशा यही संदेश दिया कि किसी के साथ अन्याय मत करो और किसी को मत डराओ. दूसरों की जिंदगी बचाने की खातिर उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया था. वह जहां भी गए वहां उन्होंने सामुदायिक रसोई और कुएं की स्थापना की. धैर्य, वैराग्य और त्याग के प्रतीक श्री गुरु तेग बहादुर जी ने 20 वर्षों तक साधना की. उन्होंने अंधविश्वास को नकार कर समाज में नए आदर्शों को जगह दी. वे वेद,पुराण और उपनिषदों के भी ज्ञानी थे. श्री गुरु तेग बहादुर जी द्वारा रचित 115 पद्य श्री गुरुग्रंथ साहिब में शामिल हैं. इनकी स्मृति में दिल्ली में शहीदी स्थल पर गुरुद्वारा शीशगंज साहिब बनवाया गया था.


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