नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ की शुरुआत की है. ये योजना 6 राज्यों के 116 जिलों में चलेगी. इस योजना को राज्यों के उन जिलों में संचालित किया जाएगा, जिनमें प्रवासी कामगारों की संख्या 25 हजार से ज्यादा है. इसके तहत मजदूरों को 125 दिनों के लिए काम मिलेगा. सरकार की ओर से मजदूरों को रोजगार देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.


कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले पीएम मोदी ने लद्दाख में शहीद हुए जवानों की पराक्रम की चर्चा करते हुए कहा,''लद्दाख में हमारे वीरों ने जो बलिदान दिया है, मैं गौरव के साथ इस बात का जिक्र करना चाहूंगा कि ये पराक्रम बिहार रेजीमेंट का है, हर बिहारी को इसका गर्व होता है. जिन सैनिकों ने अपना बलिदान दिया है उन्हें मैं श्रद्धांजलि देता हूं.''


बिहार के खगड़िया जिले से इस योजना की शुरुआत की गई


इसके बाद पीएम मोदी ने रिमोट के जरिए गरीब कल्याण योजना का शुभारंभ किया. इससे पहले उन्होंने तमाम लोगों से बातचीत की और उनके काम के बारे में जाना. पीएम मोदी ने उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जानकारी ली. इसके साथ ही सभी को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया. इस योजना की शुरुआत बिहार के खगड़िया जिले से की गई है.


कोरोना वायरस पर भी बोले पीएम


कोरोना वायरस पर पीएम मोदी ने कहा, ''आज आप सभी से बात करके कुछ राहत भी मिली है और संतोष भी मिला है. जब कोरोना महामारी का संकट बढ़ना शुरू हुआ था, तो आप सभी, केंद्र हो या राज्य सरकार, दोनों की चिंताओं में बने हुए थे. इस दौरान जो जहां था वहां उसे मदद पहुंचाने की कोशिश की गई. हमने अपने श्रमिक भाई-बहनों के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें भी चलाईं. वाकई, आपसे बात करके आज आपकी ऊर्जा भी महसूस कर रहा हूं.''


मोदी ने आगे कहा, ''कोरोना का इतना बड़ा संकट, पूरी दुनिया जिसके सामने हिल गई, सहम गई, लेकिन आप डटकर खड़े रहे. भारत के गावों में तो कोरोना का जिस तरह मुकाबला किया है, उसने शहरों को भी बहुत बड़ा सबक दिया है. सोचिए, 6 लाख से ज्यादा गांवों वाला हमारा देश, जिनमें भारत की दो-तिहाई से ज्यादा आबादी, करीब-करीब 80-85 करोड़ लोग जहां रहते हैं, उस ग्रामीण भारत में कोरोना के संक्रमण को आपने बहुत ही प्रभावी तरीके से रोका है.''


कोरोना को रोकने में हमारे ग्रामीण भारत की जागरूकता ने काम किया 


मोदी ने कहा, ''ये जनसंख्या यूरोप के सारे देशों को मिला दें, तो भी उससे कहीं ज्यादा है.ये जनसंख्या, पूरे अमेरिका को मिला दें, रूस को मिला दें, ऑस्ट्रेलिया को मिला दें, तो भी उससे कहीं ज्यादा है. इतनी बड़ी जनसंख्या का कोरोना का इतने साहस से मुकाबला करना, इतनी सफलता से मुकाबला करना, बहुत बड़ी बात है. इस सफलता के पीछे हमारे ग्रामीण भारत की जागरूकता ने काम किया है.'' उन्होंने कहा कि लेकिन इसमें भी ग्राउंड पर काम करने वाले हमारे साथी, ग्राम प्रधान, आंगनवाड़ी वर्कर, आशावर्कर्स, जीविका दीदी, इन सभी ने बहुत बेहतरीन काम किया है. ये सभी वाहवाही के पात्र हैं, प्रशंसा के पात्र हैं.

कोई पीठ थपथपाए या न थपथपाए, मैं आपकी जय-जयकार करता हूं

पीएम ने कहा कि कोई पीठ थपथपाए या न थपथपाए, मैं आपकी जय-जयकार करता हूं. आपने अपने हजारों-लाखों लोगों को कोरोना से बचाने का पुण्य किया है. मैं आपको नमन करता हूं. वैसे मुझे बताया गया है कि परसो से पटना में कोरोना टेस्टिंग के एक बड़ी आधुनिक टेस्टिंग मशीन भी काम शुरू करने वाली है. इस मशीन से करीब-करीब 1500 टेस्ट एक ही दिन में करने संभव होंगे.

पीएम ने कहा कि आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है. आज गरीब के कल्याण के लिए, उसके रोजगार के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू हुआ है. ये अभियान समर्पित है हमारे श्रमिक भाई-बहनों के लिए, हमारे गांवों में रहने वाले नौजवानों-बहनों-बेटियों के लिए.

देश आपकी भावनाओं को भी समझता है और आपकी जरूरतों को भी

पीएम ने कहा कि इनमें से ज्यादातर वो श्रमिक हैं जो लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस लौटे हैं. वो अपनी मेहनत और हुनर से अपने गांव के विकास के लिए कुछ करना चाहते हैं. वो जब तक अपने गांव में हैं, अपने गांव को आगे बढ़ाना चाहते हैं. उन्होने कहा कि मेरे श्रमिक साथियों, देश आपकी भावनाओं को भी समझता है और आपकी जरूरतों को भी. आज खगड़िया से शुरू हो रहा गरीब कल्याण रोज़गार अभियान इसी भावना, इसी जरूरत को पूरा करने का बहुत बड़ा साधन है.

हमारा प्रयास है कि इस अभियान के जरिए श्रमिकों और कामगारों को घर के पास ही काम दिया जाए

पीएम बोले कि हमारा प्रयास है कि इस अभियान के जरिए श्रमिकों और कामगारों को घर के पास ही काम दिया जाए. अभी तक आप अपने हुनर और मेहनत से शहरों को आगे बढ़ा रहे थे, अब अपने गाँव को, अपने इलाके को आगे बढ़ाएंगे. सरकारी स्कूल में रहते हुए, इन श्रमिकों ने अपने हुनर से, स्कूल का ही कायाकल्प कर दिया. मेरे श्रमिक भाई-बहनों के इस काम ने, उनकी देशभक्ति ने, उनके कौशल ने, मुझे इस अभियान का आइडिया दिया, प्रेरणा दी.

मजदूरों को रोजगार देने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे

पीएम ने कहा कि आप सोचिए, कितना टैलेंट इन दिनों वापस अपने गांव लौटा है. देश के हर शहर को गति और प्रगति देने वाला श्रम और हुनर जब खगड़िया जैसे ग्रामीण इलाकों में लगेगा, तो इससे बिहार के विकास को भी कितनी गति मिलेगी. उन्होंने कहा कि गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत आपके गांवों के विकास के लिए, आपको रोजगार देने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं.इस राशि से गांवों में रोजगार के लिए, विकास के कामों के लिए करीब 25 कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये 25 काम या प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जो गांव की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े हैं, जो गांव के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं. ये काम अपने ही गांव में रहते हुए, अपने परिवार के साथ रहते हुए ही किए जाएंगे. अब जैसे, खगड़िया के तेलिहार गांव में आज से आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक शौचालय, ग्रामीण मंडी और कुआं बनाने का काम शुरू किया किया जा रहा है. इसी तरह हर गांव की अपनी-अपनी जरूरतें हैं. इन जरूरतों को अब गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के माध्यम से पूरा किया जाएगा.

इस अभियान के तहत आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को जोड़ा जाएगा

इसके तहत अलग-अलग गांवों में कहीं गरीबों के लिए पक्के घर भी बनेंगे, कहीं वृक्षारोपण भी होगा, कहीं पशुओं को रखने के लिए शेड भी बनाए जाएंगे. पीने के पानी के लिए, ग्राम सभाओं के सहयोग से जल जीवन मिशन को भी आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा. ये तो वो काम हैं जो गांव में होने ही चाहिए. लेकिन, इसके साथ-साथ इस अभियान के तहत आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को जोड़ा जाएगा.
अब जैसे, शहरों की तरह ही गांव में भी हर घर में सस्ता और तेज़ इंटरनेट होना ज़रूरी है.

गांव में, शहरों से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है

देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांव में, शहरों से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है. गांवों में इटंरनेट की स्पीड बढ़े, फाइबर केबल पहुंचे, इससे जुड़े कार्य भी होंगे. जो हमारी बहनें हैं, उनको भी स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से भी जोड़ा जाएगा, ताकि वो अपने परिवार के लिए अतिरिक्त साधन जुटा सकें.

हुनर की पहचान की जाएगी, ताकि आपके कौशल के मुताबिक आपको काम मिल सके

पीएम ने कहा कि यही नहीं, आप सभी श्रमिकों, आप सभी के हुनर की मैपिंग की भी शुरुआत की गई है. यानि कि, गांव में ही आपके हुनर की पहचान की जाएगी, ताकि आपके कौशल के मुताबिक आपको काम मिल सके. आप जो काम करना जानते हैं, उस काम के लिए जरूरतमंद खुद आपके पास पहुंच सकेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि कोरोना महामारी के इस समय में, आपको गांवों में रहते हुए किसी से कर्ज न लेना पड़े, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े. गरीब के स्वाभिमान को हम समझते हैं. आप श्रमेव जयते, श्रम की पूजा करने वाले लोग हैं, आपको काम चाहिए, रोजगार चाहिए. इस भावना को सर्वोपरि रखते हुए ही सरकार ने इस योजना को बनाया है, इस योजना को इतने कम समय में लागू किया है.

80 करोड़ गरीबों की थाली तक राशन-दाल पहुंचाने का काम हुआ

पीए ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से हुई थी. इस योजना पर कुछ ही सप्ताह के भीतर करीब-करीब पौने 2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए. इन तीन महीनों में 80 करोड़ गरीबों की थाली तक राशन-दाल पहुंचाने का काम हुआ है. सोचिए, अगर घर घर जाकर आपके जन धन खाते न खुलवाए गए होते, मोबाइल से इन खातों और आधार कार्ड को जोड़ा नहीं होता, तो ये कैसे हो पाता? पहले का समय तो आपको याद ही होगा.

बीते गुरूवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना की जानकारी देते हुए कहा था कि इस बड़ी योजना से वापस घर लौटे श्रमिकों को सशक्त किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा था कि इस स्कीम से मजदूरों को 125 दिन का रोजगार मिलेगा.





इस योजना से डेढ़ लाख मजदूरों को मिलेगा फायदा


सीतारमण ने कहा, 'इस योजना के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओड़िशा के 116 जिलों में प्रत्येक राज्य से 25-25 हज़ार श्रमिकों को चुना गया है. इन जिलों में करीब 66 प्रतिशत मजदूर वापस लौटे हैं.'


125 दिनों के लिए मजदूरों को मिलेगा रोजगार


इस योजना के तहत मजदूरों को 125 दिनों के लिए रोजगार दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि मजदूरों को रोजगार देने के लिए 25 अलग-अलग तरह के कामों पर धयान केंद्रित किया जा रहा है. इस योजना में 50 हज़ार करोड़ के संसाधन लगाए जाएंगे.


पश्चिम बंगाल के लोगों को नहीं मिलेगा इस योजना का फायदा


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना का फायदा पश्चिम बंगाल के लोगों को नहीं मिलेगा. ग्रामीण विकास मंत्री एन एन सिन्हा ने कहा कि जिस वक्त इस योजना को तैयार किया जा रहा था, उस समय पश्चिम बंगाल ने अपने घर लौटने वाले श्रमिकों का आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया था. यदि हमें आंकड़ा मिलता है, तो भविष्य में हम निश्चित उन्हें भी इसमें शामिल करेंगे.


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