नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने केदारनाथ धाम विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की बुधवार को वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए उत्‍तराखंड सरकार के साथ समीक्षा की. इस तीर्थस्‍थल के पुनर्निर्माण की अपनी परिकल्‍पना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍य सरकार को केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्‍थलों के लिए विकास परियोजनाओं की संकल्‍पना के साथ उसका डिजाइन इस प्रकार तैयार करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरे. पीएम मोदी ने कहा कि ये पर्यावरण के अनुकूल हो और प्रकृति और उसके आसपास के वातावरण के साथ तालमेल बैठा सके.

मौजूदा स्थिति और इन तीर्थस्‍थलों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्‍या में तुलनात्‍मक रूप से आई कमी को ध्‍यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि निर्माण के वर्तमान समय का उपयोग श्रमिकों के उचित वितरण द्वारा लंबित कार्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है.  लेकिन साथ ही हमें उचित दूरी बनाए रखने (सोशल डिस्‍टेंसिंग) के नियम को भी ध्‍यान में रखना होगा. इससे आने वाले वर्षों में पर्यटकों की संख्‍या में बढ़ोतरी जारी रखने  के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा और सुविधाएं तैयार करने में मदद मिलेगी.

कुछ विशेष सुझावों के तहत, प्रधानमंत्री ने रामबन से केदारनाथ तक के बीच अन्‍य धरोहर और धार्मिक स्‍थलों के और विकास करने का निर्देश दिया. यह कार्य केदारनाथ के मुख्‍य मंदिर के पुर्नर्विकास के अतिरिक्‍त होगा.

बैठक में श्रद्धालुओं के स्‍वागत के लिए ब्रह्म कमल वाटिका और संग्रहालय के विकास की स्थिति से संबंधित विवरण पर भी विस्‍तार से बातचीत हुई जो वासुकी ताल के रास्‍ते में है. साथ ही पुराने शहर के मकानों और वास्‍तुकला की दृष्टि से ऐतिहासिक महत्‍व की सम्‍पत्तियों के पुनर्विकास के अलावा अन्‍य सुविधाओं जैसे मंदिर से उपयुक्‍त दूरी पर और नियमित अंतराल पर पर्यावरण अनुकूल पार्किंग स्‍थल के बारे में भी चर्चा हुई. बातचीत में उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री त्रिवेन्‍द्र सिंह रावत और अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी शामिल हुए.

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