पीएम मोदी ने लोकसभा में पंडित नेहरू को किया याद, बोले- राष्ट्र निर्माण के लिए कर्तव्य के मार्ग पर चलें
एबीपी न्यूज़ | 25 Jun 2019 11:36 PM (IST)
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस को इमरजेंसी की याद दिलाई. पीएम मोदी ने कि ये दाग कभी मिटेगा नहीं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस इतनी ऊंची हो गई कि जमीन से उखड़ गई, उसे जमीन से जुड़े लोग दिखने बंद हो गए.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सत्रहवीं लोकसभा में दिए अपने पहले ही भाषण में जवाहरलाल नेहरू की का जिक्र किया. पीएम मोदी ने नेहरू की कर्तव्यों को प्राथमिकता देने की बात याद करते हुए नए भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने के लिये सभी से कर्तव्य के मार्ग पर चलने की अपील की. बता दें कांग्रेस बीजेपी पर नेहरू की विरासत को खत्म करने का आरोप लगाती रहती है. कल भी लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी पर ऐसा ही आरोप लगाया था. पीएम मोदी ने आज अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ''उस समय चुनाव से पहले पंडित नेहरू ने कहा था कि दुनिया को भारत की सीख यह है कि यहां सबसे पहले कर्तव्य आते हैं और कर्तव्य से ही अधिकार निकलते हैं. आज के आधुनिक एवं भौतिकतावादी विश्व में जहां हर जगह टकराव दिखाई देता है, वहां हर कोई अधिकारों एवं सुविधा की बात करता है.. शायद ही कोई अपने कर्तव्य की बात करता हो. यही टकराव की वजह है. यह वास्तविकता है और बड़ा दर्शन है.'' उन्होंने कहा कि जिस महापुरूष ने यह बात कही, उनकी बात को भुला दिया गया. यह बात महापुरूष पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 जुलाई 1951 को कही थी. मोदी ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जो बात पंडित नेहरू ने 1951 में कही, उन्होंने जो सपना देखा, उसे देश को पूरा करना चाहिए.’’ उन्होंने पूछा कि क्या हम इस भाव के साथ देश को कर्तव्य के मार्ग पर ले जा सकते हैं? जमकर बरसे पीएम, कहा- कांग्रेस इतनी ऊंची हो गई कि जमीन से उखड़ गई प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि आप इतने ऊंचे हो गए हैं कि आपको नीचे का दिखना बंद हो गया है. प्रधानमंत्री ने कहा, ''यहां बहुत अच्छी बातें बताई गईं, ज्यादातर चुनावी छाया वाली बातें बताई गईं. यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता. ऐसी गलती हम कर बी नहीं सकते. हम किसी की लकीर छोटी नहीं कर सकते हम अपनी लकीर को बढ़ाने के लिए जीवन कपा देते हैं. आपको आपकी ऊंचाई मुबारक हो क्योंकि आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि जमीन दिखना बंद हो गई है. आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि जो जमीन पर हैं वो दिखना बंद हो गए हैं. इसीलिए आपकी ऊंचाई मेरे लिए अत्यंत संतोष की बात है. मेरी कामना है कि आप और ऊंचे बढ़ें. हमारी कोई स्पर्धा है कि हमारा सपना जड़ों से जुड़ने का है. हमारा रास्ता जड़ों से जुड़कर देश को आगे ले जाने का है.''