मुंबई: पीएम नरेंद्र मोदी ने स्कॉर्पीन श्रेणी की छह कलवरी पनडुब्बियों में से एक को भारतीय नौसेना में शामिल किया और इसे देश की रक्षा तैयारी में एक बड़ा कदम बताया. इस अवसर पर आयोजित समारोह में स्कॉर्पीन श्रेणी की प्रथम कलवरी पनडुब्बी के वरिष्ठ नौसेन्य कर्मी मौजूद थे. उनसे मिलने के बाद मोदी पनडुब्बी में चढ़े और उसकी पट्टिका का उद्घाटन किया. इस समारोह में मोदी ने कहा "कलवरी 'मेक इन इंडिया' का एक शानदार उदाहरण है." कलवरी को नौसेना में शामिल करने के लिए आयोजित समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और भारत में फ्रांस के राजदूत एलेग्जेंडर जिगलेर सहित अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे.


इस "रणनीतिक संयुक्त परियोजना" के लिए मोदी ने फ्रांस को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस पनडुब्बी का जलावतरण 125 करोड़ भारतीयों के लिए "गर्व का विषय" है.


पीएम ने कहा "इस पनडुब्बी का जलावतरण करना मेरे लिए गर्व की बात है. नौसेना में कलवरी को शामिल करना रक्षा क्षेत्र में तैयारी का बड़ा कदम है." इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर में गहरे पानी में पाई जाने वाली खतरनाक 'टाइगर शार्क' पर कलवरी रखा गया है. उन्होंने कहा "कलवरी की ताकत टाइगर शार्क की तरह है और यह हमारी नौसेना की शक्ति बढ़ाएगी." प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पड़ोसियों के लिए संकट के समय में प्रतिक्रिया देने में सबसे आगे रहता आया है, चाहे यह संकट श्रीलंका, मालदीव या बांग्लादेश में बाढ़ का हो, पानी की कमी हो या चक्रवात हो. नेपाल में भूकंप के दौरान भारतीय नौसेना और वायु सेना ने बहुत बड़ी सहायता पहुंचाई.



मोदी ने अपनी सरकार के मूल मंत्र "सबका साथ सबका विकास" का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने आतंकवाद तथा नक्सली खतरे से सफलतापूर्वक मुकाबले के बारे में भी बताया.


उन्होंने कहा "इस साल अब तक कश्मीर में पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों करीब 200 आतंकवादी मारे जा चुके हैं. पथराव करने की घटनाओं में भी वहां कमी आई है और नक्सली हिंसा में भी कमी आई है. इससे पता चलता है कि लोग विकास के रास्ते पर आ रहे हैं." रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पनडुब्बी निर्माण एक आधुनिक एवं कौशलपूर्ण कार्य है और कुछ ही देशों के पास इसकी औद्योगिक क्षमता है.


प्रधानमंत्री ने कहा "भारत ने पिछले 25 साल से पनडुब्बी निर्माण में अपनी क्षमता साबित की है. ये 'मेक इन इंडिया' और 'स्किल इंडिया' की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हैं. पनडुब्बी बनाने से न केवल ऑर्डर के जरिए उद्योग को लाभ होगा बल्कि गुणवत्ता नियंत्रण के जरिए भी उसे फायदा होगा." महाराष्ट्र के राज्यपाल चौधरी विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा, वेस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग और अन्य शीर्ष रक्षा अधिकारी भी समारोह में मौजूद थे.



नौसेना के एक अधिकारी ने बताया "कलवरी के, गहरे पानी में 120 दिन तक गहन समुद्री परीक्षण हुए हैं. पनडुब्बी के विभिन्न उपकरणों के लिए भी परीक्षण किए गए." उन्होंने कहा कि कलवरी से भारत की नौवहन क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है. इस पनडुब्बी का डिजाइन फ्रांसीसी नौसेना रक्षा एवं ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने तैयार किया है. इसका निर्माण भारतीय नौसेना के 'प्रोजेक्ट-75' के तहत मुंबई स्थित मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया गया.


एमडीएल के एक अधिकारी ने बताया कि स्कॉर्पीन में उपयोग की गई प्रौद्योगिकी इसका सर्वोच्च गोपनीयता के साथ काम करना सुनिश्चत करती है. इस प्रौद्योगिकी की वजह से कलवरी बेहद खामोशी से काम करती है, ध्वनि का स्तर कम होता है, इसका आकार बेहतर है और यह सटीक निर्देशित शस्त्रों से शत्रु पर वार कर उसकी क्षमता क्षीण कर सकती है.


पहली कलवरी 8 दिसंबर 1967 को नौसेना में शामिल की गई थी. यह भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी भी थी. करीब तीन दशक तक भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएं देने के बाद इसने 31 मई 1996 को अपना काम बंद किया था.