केंद्रीय कैबिनेट में हाल ही में बड़े फेरबदल किए गए हैं. मोदी कैबिनेट में कई नामों को जगह दी गई. इन्हीं में एक नाम है- अश्विनी वैष्णव. साल 2019 में बीजेपी ने अश्विनी वैष्णव को राज्यसभा सांसद बनाया और अब उन्हें अचानक दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंप दी गई. अश्विनी वैष्णव को रेलवे और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय दिया गया है. ये दो मंत्रालय पहले बीजेपी के दो बड़े कद्दावर नेता पीयूष गोयल और रविशंकर प्रसाद के पास थे.


अश्विनी वैष्णव आज (18 जुलाई 2021) अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देने के साथ ही जमकर तारीफ भी की है. पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, "अश्विनी वैष्णव को जन्मदिन की बधाई. वह शासन के प्रमुख बुनियादी ढांचे से संबंधित क्षेत्रों को बदलने के लिए काम कर रहे हैं, जिससे हमारे देश के नागरिकों को फायदा होगा. उनके लंबे जीवन और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूं."


2020 में भी वैष्णव को मंत्री बनाना चाहते थे पीएम मोदी 
मंत्री पद की शपथ लेने से पहले बीजेपी के कई बड़े नेताओं को भी अश्विनी वैष्णव के बारे में खास जानकारी नहीं थी. अगर पीएम मोदी ने उन्हें चुना है, इसका मतलब उनमें कुछ तो खास बात है. जानकारी मिली है कि साल 2020 में जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा चल रही थी तब भी अश्विनी वैष्णव का नाम सामने आया था. लेकिन आरएसएस ने वैष्णव के शामिल होने का विरोध किया था. लेकिन बीजेपी नेतृत्व उनके नाम पर अड़ा रहा.


आखिर अश्विनी वैष्णव पीएम मोदी की नजर में आए कैसे?
कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह तकनीक से जुड़ी समस्याओं और नीतियों के लिए अश्विनी वैष्णव से ही चर्चा करते थे. इसके बाद जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए तब भी उनका संपर्क बना रहा. अश्विनी वैष्णव अच्छी गुजरात बोलते हैं. हालांकि उनका जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ था. साल 1992 में राजस्थान के जय नारायण व्यास यविश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद आईआईटी-कानपुर से एमटेक किया और तुरंत बाद साल 1994 में सिविल सेवा में शामिल हो गए.


1994 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव ने 15 साल से ज्यादा समय तक सिविल सेवा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं हैं. उन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिलों में कलेक्टर के रूप में काम किया है. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की रूपरेखा बनाने में उनके योगदान के लिए उन्हें खासतौर जाना जाता है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उनके काम की सराहना की है.