ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय सेना ने हाल ही में राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम की लाइव फायरिंग ड्रिल आयोजित की. इसे पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य तैयारी के सशक्त संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है.

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क्यों कहा जाता है इसे ‘पिनाका’?

इस रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के पौराणिक धनुष ‘पिनाका’ पर रखा गया है. मल्टी-बैरल डिजाइन के कारण यह सिस्टम एक साथ कई रॉकेट दागने में सक्षम है. DRDO ने इसे डिजाइन किया है, जबकि टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और लार्सन एंड टुब्रो जैसी कंपनियों ने इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल में तैयार किया है.

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44 सेकंड में 72 रॉकेट दागने की क्षमता

पिनाका की खासियत इसकी जबरदस्त फायरिंग स्पीड है. यह मात्र 44 सेकंड में 72 रॉकेट लॉन्च कर सकता है, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखते हैं. इसका अपग्रेडेड वर्जन पिनाका MK-II ER 90 किलोमीटर की रेंज तक मार कर सकता है और एक नया वर्जन 150 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक प्रहार करने के लिए विकसित किया जा रहा है.

गति इतनी तेज कि रोकना मुश्किल

पिनाका रॉकेट GPS आधारित गाइडेड सिस्टम से लैस होते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ये मैक 4.7 यानी लगभग 5,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकते हैं, जिससे उन्हें इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन हो जाता है.

जानें कितनी है इसकी कीमत

भारतीय सेना में फिलहाल चार पिनाका रेजिमेंट तैनात हैं और छह अतिरिक्त रेजिमेंट का निर्माण जारी है. युद्ध की स्थिति में पिनाका का मुख्य काम कम समय में दुश्मन के संवेदनशील इलाकों पर भारी नुकसान पहुंचाना होता है.  जनवरी में सरकार ने पिनाका सिस्टम के लिए 10,200 करोड़ रुपये के गोला-बारूद खरीदने को मंजूरी दी थी. भारत इसका निर्यात आर्मेनिया को कर चुका है और फ्रांस के साथ संभावित डील पर भी चर्चा चल रही है.

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