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Exclusive: बाबरी विध्वंस-गुजरात दंगों की Video क्लिपिंग से भड़काई जाती थी भावनाएं, PFI ऐसे बनाता था कट्टरपंथी

PFI अपने साथ जुड़े लोगों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था. हिंदू कार्यकर्ताओं और RSS के लोगों को मारने की कोशिश करता था. CAA विरोधी विरोध प्रदर्शन को आयोजित करने का बीड़ा उठाया था.

PFI Connection With SIMI: PFI के बारे में जो सीक्रेट नोट है, उसमें सुरक्षा एजेंसियों ने माना है कि संगठन के मुखिया सहित अन्य कई सदस्य स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं. जिन सदस्यों का नाम शामिल है, उसमें ईएम अब्दुल रहिमन (पूर्व अध्यक्ष), ई अबू बकर (सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद / एनईसी) और पी कोया (सदस्य, एनईसी) पहले सिमी के सदस्य रह चुके है.

केरल में National Development Fund जो पीएफआई का पैरेंट ऑर्गनाइजेशन है, उसे भी सिमी के ही पूर्व नेताओं ने मिल कर बनाया था. गौरतलब है कि, सिमी को 2001 में (UAPA) के तहत राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से बैन लगा दिया गया था.

PFI मानते है शरिया कानून

PFI कैडर शरिया कानून को मानते है. संगठन के हित के लिए अपने जीवन का बलिदान करने की शपथ भी लेते हैं. कैडर को यह शपथ तभी दिलाई जाती थी, जब यह मान लिया जाता था कि, उन्हें संगठन के अनुसार पूरी तरह से कट्टरपंथी बनाया जा चुका है. संगठन अपने लोगो को धर्म के नाम पर हुए दंगों से जुड़े और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले वीडियो क्लिपिंग को दिखाकर कट्टरपंथी बनाने का काम करता था. जिनमें बाबरी मस्जिद को गिराने वाला और गुजरात दंगों समेत अन्य तरह के वीडियो शामिल होते थे.

PFI बनाते थे RSS पर हमला करने की योजना

संगठन अपने कुछ सदस्यों को दंगा कराने के तरीके, हथियारों से निपटने, जैसे डेवलप्ड मॉड्यूल के लिए ट्रेंड करते थे. उन्हें संगठन के मदद से बनाए गए 'हिट स्क्वॉड' या 'सर्विस टीमों' का हिस्सा बनाते थे. ईडी ने (दिसंबर 2020) में पूछताछ के दौरान CFI के पूर्व महासचिव रऊफ शरीफ ने खुलासा किया था कि, PFI एक गुप्त राहत विंग चलाता है, जो असल में RSS के चुनिंदा नेताओं से बदला लेने की योजना बनाता है और उसे अंजाम भी देता है.

PFI अपने कैडरों को प्रशिक्षित करने के लिए एक शारीरिक शिक्षा विभाग भी चलाता था. जिनका काम संगठन के नेताओं को सुरक्षा प्रदान करना था. उनमें से कुछ ‘हिट स्क्वॉड‘ में भी शामिल थे. संगठन का सीक्रेट ‘हिट स्क्वॉड’ खास तौर पर हिंदू कार्यकर्ताओं को टारगेट करके मारने का काम करता था.

संगठन के खिलाफ दर्ज मामले
PFI और इसके साथ जुड़े अन्य सहयोगी ग्रुप के खिलाफ UAPA, विस्फोटक पदार्थ एक्ट, आर्म्स एक्ट और आईपीसी की अन्य धाराओं सहित देश भर 1400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए है.संगठन ने दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 के दौरान हुए CAA विरोधी विरोध प्रदर्शन को आयोजित करने का बीड़ा उठाया था. उत्तर प्रदेश में, CAA के खिलाफ हिंसक आंदोलन करने के 51 मामले दर्ज किए गए थे.

ईडी ED ने दिल्ली दंगों में भी इनकी भूमिका की जांच की थी. PFI अपने कैडर बेस को बढ़ाने के लिए और तेलंगाना में पकड़ बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था. इस सिलसिले में गरीबों को स्कूल की किताबें और भोजन बांटने जैसे सामाजिक कार्यक्रम चला रहा था.

PFI के पैन-इस्लामिक लिंक

PFI का जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के साथ संबंध थे. संगठन Egypt की कट्टरपंथी सुन्नी इस्लामिक ग्रुप मुस्लिम ब्रदरहुड से भी प्रेरणा लेता है. संगठन 30 अगस्त को 'एकजुटता दिवस' के रूप में मनाता था, क्योंकि 30 अगस्त 2013 को मोहम्मद मुर्सी की नेतृत्व वाली मुस्लिम ब्रदरहुड सरकार को मिस्र से हटा दिया गया था.पीएफआई से जुड़े 21 व्यक्ति अलग से ISIS में शामिल हुए थे.

PFI का जुड़ाव मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ साफ दिखता है. जब जून 2019 में अनीस अहमद (जनरल सेक्रेटरी, PFI) ने मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थन में एक ट्वीट किया गया था. संगठन का जुड़ाव हमास से भी है.जो फिलिस्तीन की सुन्नी इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट ग्रूप है. इसके महासचिव और अन्य कार्यकर्ताओं ने खुले तौर से हमास की तारीफ करने वाले विभिन्न ट्वीट्स किए है.

संगठन का तुर्की से रिश्ता

संगठन तुर्की स्थित फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम एंड ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ (आईएचएच), अल-कायदा से जुड़ी तुर्की चैरिटी और तुर्की की खुफिया एजेंसी से पैन-इस्लामिक संबंध रखता था. इसके बड़े नेताओं ने 2018 और 2019 में फिलिस्तीन से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए तुर्की का दौरा किया था. 2020 में, PFI ने अपने कैडरों के लिए 'Modern Turkey return to Islam' पर एक कार्यक्रम (ऑनलाइन) आयोजित किया था, जिसमें संगठन ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की सच्चे इस्लामी शासन लाने के लिए प्रशंसा की थी.

PFI की कट्टरपंथी गतिविधि

PFI की कट्टरपंथी गतिविधियों ने एक अंतर्राष्ट्रीय कट्टरपंथी संगठन, पार्टी ऑफ इस्लामिक रिन्यूअल का ध्यान आकर्षित किया था. अप्रैल में, संगठन ने ट्विटर पर पीएफआई को एक ऑनलाइन पत्र भेजा था, जिसमें उसकी गतिविधियों की प्रशंसा की गई थी और भारत सरकार के खिलाफ जिहाद के लिए एक 'Revolutionary Army' बनाने का अनुरोध किया था. यह account मोहम्मद अल-मस्सारी चलाता था, जो ब्रिटेन में शरणागत एक निर्वासित सऊदी नागरिक था, जो हिज़्ब-उत-तहरीर का पूर्व सदस्य भी था.

ट्वीट में सूफी संगठन सूफी इस्लामिक बोर्ड को भी टैग किया गया था और पीएफआई का विरोध करने पर धमकी दी गई थी. गौरतलब है कि पीएफआई सूफी इस्लामिक बोर्ड के नेताओं को निशाना बना रहा था, जो पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए लगातार अभियान चला रहे थे. ईडी ED के जांच में यह भी पता चला था कि अंशद बदरुद्दीन (PFI) जिसे यूपी ATS ने फरवरी 2021 में लखनऊ में हथियारों और विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया था.  


PFI का मनी लॉन्ड्रिंग कनेक्शन

PFI के 85 बैंक खातों में से 36 बैंक खातों में पैसे का स्रोत खाताधारकों के प्रोफाइल से मेल नही खाता था. इसके अलावा संगठन की गतिविधियों को ट्रस्ट के उद्देश्यों के अनुसार नहीं किया जा रहा था. सीबीडीटी ने बाद में, PFI को दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया और रिहैब इंडिया फाउंडेशन (PFI एनजीओ) की टैक्स छूट को रद्द कर दिया था. ईडी ने साल 2020 और 2021 में PFI नेताओं के कई कार्यालय परिसरों और आवासों पर संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में छापेमारी की थी और संगठन के नेताओं को गिरफ्तार किया था.

छापेमारी में पाया गया कि संगठन विदेशों में मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा था. केरल में मुन्नार विला विस्टा परियोजना और अबू धाबी में दरबार रेस्तरां की सहायता से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी. PFI अपने अवैध रूप से जुटाए गए फंड को मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट में लगा रहा था ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके.

जकात के पैसों का गलत उपयोग

दिल्ली के शाहीन बाग स्थित PFI के मुख्यालय में करोड़ों का बेहिसाब पैसा रखा है, जिसका इस्तेमाल वे बिना किसी जवाबदेही के करते हैं. रमजान के पवित्र महीने के दौरान भारतीय मुसलमानों के दान की गई राशि से पता चलता है कि हर साल जकात के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये एकत्र किए जाते थे.

PFI का अंतरराष्ट्रीय फ़ंडिंग

इंडिया फ्रेटरनिटी फोरम (आईएफएफ) और इंडियन सोशल फोरम (आईएसएफ) PFI के विदेशी मोर्चे थे. उनकी कार्यकारी समितियां भारत में PFI को सरकारी नज़र से बचाकर पैसा भेजने का काम करती थी.  पैसे आम तौर पर नकद में  लिया जाता था और हवाला चैनलों के मदद से भारत में भेजा जाता था या इसे भारत स्थित रिश्तेदारों और PFI के सदस्यों के दोस्तों और विदेशों में काम करने वालों के खातों में भेजा जाता था.

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