नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में ऐसे 72 लाख लोग थे जो राशन वितरण केंद्रों से राशन कार्ड के जरिए कोरोना से पहले राशन लिया करते थे. लॉकडाउन के कारण कई कारोबार ठप पड़ गए. जिसको देखते हुए इस बेबसी के आलम में मुख्यमंत्री ने एक एलान किया था. उनका कहना था कि अब मुफ्त राशन e-coupons के जरिए नॉन राशनकार्ड होल्डर्स को भी दिया जाएगा. वहीं जमीनी सच्चाई तो यह है कि जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंच ही नहीं रहा.


कोर्ट ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार


अप्रैल के महीने से इशू किये गए e-coupons से मई के महीने में भी राशन नहीं मिला. जब पुराने महीने का ही राशन नहीं मिला तो लोग अब नए महीने का राशन कहां से लेंगे? हाल ही में सुल्तानपुरी में रह रही एक लॉ स्टूडेंट शबनम ने ऐसे कई लोगों की सहायता के लिए याचिका दायर की. जिस पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए यह आदेश भी दिया कि याचिका में लिस्ट किये गए 73 लोगों तक राशन जल्द से जल्द पहुंचाया जाए. यह सभी लोग सुल्तानपुरी के ही रहने वाले हैं. राशन पहुंचाने की तारीख 21 मई की शाम दी गई.


लोगों को नहीं मिल रहा है ई-कूपन्स के जरिए राशन


शबनम ने हमे बताया, "अप्रैल के महीने में दिल्ली सरकार की तरफ से e-coupons के जरिए राशन वितरण करने के आदेश दिए गए थे. मेरे माता पिता कुछ दिनों बाद हमारे घर के पास के ही राशन केंद्र पहुंचे तो उन्होंने मुझे बताया कि वहां बहुत ही बुरा हाल है. लोगों की भीड़ है, गर्मी के मौसम में घंटों तक लोग लाइनों में खड़े हैं और कई लोगों को राशन भी नहीं मिल पा रहा है. जब मुझे इसकी जानकारी मिली तो मैंने ऑथरीटीज को एक चिट्ठी लिख कर जवाब मांगा. जिसमें मुझे उतना एक्टीव रिस्पॉन्स नहीं मिला.''

हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई 


शबनम ने बताया कि 25 दिन बीत जाने के बाद मैंने सुल्तानपुरी के एक राशन वितरण केंद्र पर अपना नंबर छोड़ दिया. उस पोस्टर पर यह जानकारी दी कि जिस किसी को भी राशन नहीं मिल पा रहा है, वो मेरे पास आकर शिकायत दर्ज करवाएं. इसके बाद मैंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने इन लोगों तक एक दिन के अंदर अंदर राशन पहुंचने का आदेश दिया. जब हमने उनसे पूछा कि क्या उतने ही लोग थे जिनको राशन नहीं मिल पा रहा था, तो उन्होंने हमें बताया कि लगभग 1909 लोग हैं जिन्हें राशन नहीं मिल पा रहा था. यह आंकड़ा उन्हें आधिकारिक तौर पर नहीं मिल पाया लेकिन निजी तौर पर राशन केंद्र के कर्मचारियों ने उन्हें यह जानकारी दी.


21 मई तक राशन लोगों तक पहुंचाने का कोर्ट ने दिया आदेश


याचिका दायर हुई, हाईकोर्ट ने फटकार भी लगाई, दिल्ली सरकार को 21 मई तक राशन लोगों तक पहुंचाने का आदेश भी दिया. जो लोग उस याचिका में शामिल थे केवल उन्हीं के घरों तक राशन पहुंचाने की बात की गई. जब एबीपी न्यूज़ की टीम ने शबनम से पूछा कि क्या सभी 73 लोगों को राशन मिल चुका है? तो उन्होंने बताया, "बहुत रेयर लोग हैं उन 73 लोगों में से जिनके पास राशन पहुंचे. उनके भी मेरे पास शिकायतों के साथ फोन आए. कई लोगों का यह कहना था कि हमें राशन सिर्फ एक महीने का ही दिया गया. इस महीने का राशन कब दिया जाएगा? ''


लोगों को हो रही है काफी परेशानी


इस लिस्ट में ऐसे एक शख्स जिनका नाम था लेकिन उनके पास अभी तक राशन नही पहुंचा है वो हैं अकबरी. उनका कहना है कि 23 अप्रैल को राशन के लिए उन्होंने अप्लाई किया था. 21 मई को राशन मिल जाएगा ऐसा उन्हें कहा गया था लेकिन अभी तक राशन नही मिला है. जब वह एक दिन लाइन में आगे पहुंचे और उन्होंने राशन मांगा तो उन्हें कहा गया कि उनके टोकन नम्बर पर राशन मिल चुका है. जबकि वो कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है. उन्हें बहुत ही परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.


इसके बाद एबीपी न्यूज़ की टीम ने सुल्तानपुरी का जायजा लिया. ऐसा करने के लिए हमें शबनम के घर से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ा. नम्बर अभी भी राशन वितरण केंद्र पर लगे होने के कारण लगातार शबनम के फोन और घर पर लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे रहते हैं. जब हम भी शबनम के घर के बाहर थे तो ऐसा ही कुछ लोगों से हमारी मुलाकात हुई जो याचिका की लिस्ट में शामिल नहीं थे पर राशन की समस्या से जूझ रहे हैं.


राशन की दुकान पर मजदूरों को मिला डंडा?


सोनू, मैनपुरी जिले के रहने वाले हैं और दिल्ली में दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्होंने कहा कि राशन हमें मिला ही नहीं डंडा मिला. दो बार मैं गया, तीसरी बार फिर गया ही नहीं. e-coupon बनाने के पैसे दुकानदार ने ले लिए.


धर्मवीर के घर में 9 लोग हैं, कमाई वाले केवल दो उनके पति और बेटा. काम मार्च से ही ठप पड़ा हुआ है. उन्होंने कूपन किसी दुकान से निकलवाया हुआ है, कूपन मोबाइल पर आया ही नहीं है. घर मे बहुत परेशानी है. उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को पर्चा निकलवाया था.


ई-कूपन तो है पर राशन नहीं


मोहम्मद अकरम, सुल्तानपुरी में किराए के एक मकान में अकेले रहते हैं, वह दिहाड़ी मजदूर हैं और पिछले कई समय से काम नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि राशन खत्म हो जाता है, भीड़ बढ़ जाती है. कर्ज़ ले ले के खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने अपने भाई से ई कूपन की पर्ची बनवाई. लेकिन अभी ई कूपन मिला ही नहीं है.


पूनम सुल्तानपुरी में रहती हैं. लॉकडाउन से पहले लोगों के घरों में घरेलू काम करती थीं, परिवार में तीन लोग हैं, उनके पति की मृत्यु कुछ साल पहले हो गयी थी. उन्होंने बताया कि उन्हें एक भी दिन राशन नहीं मिला. राशन की दुकान पर लड़ाई झगड़े हो जाते हैं, पुलिस भीड़ बढ़ने पर लाठी चला देती है. फिर हम डरकर वापस ही आ जाते हैं.


बुजुर्गों को मजबूरी में लेना जाना पड़ रहा है राशन


मुन्नि देवी, एक बेहद बुजुर्ग महिला भी हमें सुल्तानपुरी में मदद के लिए डर डर फिरती हुईं मिलीं. ऐसे में जब बुजुर्गों को घर पर ही रहने की सलाह दी गयी है, ऐसे में यह बाहर राशन के जुगाड़ के लिए निकली हैं. उन्होंने कहा कि हमने 25 अप्रैल को ई-कूपन लिया था, कलेक्शन डेट 26 अप्रैल की थी लेकिन आज तक उन्हें राशन नहीं मिला है. उनका बेटा दिहाड़ी मजदूरी करता


पुष्पा के पति को कैंसर था, उसका कर्ज चुकाना है. वह घरेलू काम करती हैं. उनका कहना है कि काम ठप पड़ा है पुरानी पर्ची से जैसे तैसे राशन मिल ही गया, लेकिन पुराने महीने का राशन मिला, एक महीने का ही राशन मिला है. सुष्मिता का कहना है कि ई कूपन बना ही नहीं है.


एबीपी न्यूज़ की टीम जहां पर भी गई यही देखने को मिला. शबनम का कहना है कि क्योंकि उस याचिका में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें अभी तक पूरी तरह से राशन नही पहुंचाया गया है, ऐसे में दिल्ली सरकार 'कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट' के दायरे में भी खड़ी की जा सकती है.


ये भी पढ़ें-


बिहार: CM नीतीश कुमार ने क्वॉरन्टीन सेंटर में रह रहे प्रवासियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की बात


लद्दाख में तनातनी की तस्वीरें सामने आईं, चीन के 80 टेंट और फौजी गाड़ियां दिखीं, भारतीय सेना ने भी गाड़े 60 तंबू