नई दिल्ली: भारत में एक बार फिर जासूसी का जिन्न बोतल के बाहर आ गया है. दावे के मुताबिक देश में 40 से ज्यादा पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकारी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख एवं अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारियों की जासूसी की गई. 


द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट के जरिए आरोप लगाया है कि दुनिया की कई सरकारें एक खास पेगासस नाम के सॉफ्टवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बड़े वकीलों समेत कई बड़ी हस्तियों की जासूसी करवा रही हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.


रिपोर्ट में किन पत्रकारों के नाम सामने आए, यहां देखें लिस्ट



  • रोहिणी सिंह- पत्रकार, द वायर

  • स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी 

  • सुशांत सिंह,  इंडियन एक्सप्रेस में डिप्टी एडिटर

  • एसएनएम अब्दी, आउटलुक के पूर्व पत्रकार

  • परंजॉय गुहा ठाकुरता,  ईपीडब्ल्यू के पूर्व संपादक

  • एमके वेणु, द वायर के संस्थापक

  • सिद्धार्थ वरदराजन, द वायर के संस्थापक

  • एक भारतीय अख़बार के वरिष्ठ संपादक 

  • झारखंड के रामगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह 

  • सिद्धांत सिब्बल, वियॉन के विदेश मंत्रालय के पत्रकार

  • संतोष भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व सांसद

  • इफ्तिखार गिलानी, पूर्व डीएनए रिपोर्टर 

  • मनोरंजना गुप्ता, फ्रंटियर टीवी की प्रधान संपादक

  • संजय श्याम, बिहार के पत्रकार

  • जसपाल सिंह हेरन, दैनिक रोज़ाना पहरेदार के प्रधान संपादक 

  • सैयद अब्दुल रहमान गिलानी, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर 

  • संदीप उन्नीथन, इंडिया टुडे

  • विजेता सिंह, द हिंदू की गृहमंत्रालय से जुड़ी पत्रकार

  • मनोज गुप्ता, टीवी 18 के इंवेस्टिगेटिव एडिटर 

  • हिंदुस्तान टाइम्स समूह के चार वर्तमान और एक पूर्व कर्मचारी ( कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता, संपादकीय पेज के संपादक और पूर्व ब्यूरो चीफ प्रशांत झा, रक्षा संवाददाता राहुल सिंह, कांग्रेस कवर करने वाले पूर्व राजनीतिक संवाददाता औरंगजेब नक्शबंदी)

  • हिंदुस्तान टाइम्स समूह के अख़बार मिंट के एक रिपोर्टर

  • सुरक्षा मामलों पर लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रेमशंकर झा 

  • पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्टर सैकत दत्ता

  • स्मिता शर्मा, टीवी 18 की पूर्व एंकर और द ट्रिब्यून की डिप्लोमैटिक रिपोर्टर 


इसके अलावा रिपोर्ट में अन्य नामों का किसी ना किसी कारण खुलासा नहीं किया गया है. लेकिन कहा है कि आने वाले समय में और नामों का खुलासा होगा. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई पत्रकारों से फॉरेंसिक विशलेषण में शामिल होने के बाबत बात की गई. लेकिन उन्होंने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया.


गार्जियन ने क्या आरोप लगाए हैं?
गार्जियन अखबार के मुताबिक जासूसी का ये सॉफ्टवेयर इजरायल की सर्विलेंस कंपनी NSO ने देशों की सरकारों को बेचा गया है. गार्जियन अखबार के खुलासे के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर के जरिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है. 


लीक हुए डेटा के कंसोर्टियम के विश्लेषण ने कम से कम 10 सरकारों को एनएसओ ग्राहक के रूप में माना जा रहा है जो एक सिस्टम में नंबर दर्ज कर रहे थे. अजरबैजान, बहरीन, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, भारत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के डाटा इसमें शामिल हैं. गार्जियन का दावा है कि 16 मीडिया संगठनों की जांच के बाद ये खुलासा किया गया है.


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