प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार (13 नवंबर, 2025) को ग्रेटर नोएडा के नामी बिल्डर मनोज गौर को प्रोजेक्ट में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है. पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की ED कस्टडी में भेज दिया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी के अधिकारियों ने कहा कि मनोज गौर के नेतृत्व वाली कंपनियों ने घर खरीदारों से 32,825 करोड़ रुपये लिए, लेकिन करीब 13,833 करोड़ रुपये का उपयोग दूसरे कामों में किया गया. सिर्फ 18,000 करोड़ रुपये निर्माण कार्यों पर खर्च हुए.
कंपनियों पर भारी रकम को दूसरे फर्मों और निजी खातों में ट्रांसफर करने का आरोप
वहीं, इस मामले में ED का आरोप है कि कंपनियों ने भारी रकम को दूसरे फर्मों और निजी खातों में ट्रांसफर किया, जिससे कई घर खरीदारों को आज तक उनके फ्लैट का कब्जा नहीं मिला. दिल्ली और यूपी पुलिस में इस मामले को लेकर कई मामले दर्ज हैं, जिनमें निवेशकों ने आरोप लगाया कि उन्हें समय पर घर नहीं मिला और उनके पैसे फंसे रह गए. कोर्ट में ईडी ने कहा कि मनोज गौर की रिमांड जरूरी है ताकि रकम के इस्तेमाल विदेशों में हुए लेनदेन और अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा सके.
मनोज गौर पहले से जांच में कर रहे सहयोग- वकील
पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोपी की उम्र और गंभीर बीमारियों को भी ध्यान में रखते हुए ईडी को आदेश दिया कि खाने-पीने की चीजें और दवाइयां समय से मुहैया कराई जाएं. इसके अलावा, परिवार और वकील से प्रतिदिन मिलने की भी इजाजत दी गई है. मनोज गौर के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि वे पहले से जांच में सहयोग कर रहे हैं और कई प्रोजेक्ट्स में खरीदारों को घर मिल चुका है. गौर परिवार की तरफ से गिरफ्तारी को अनावश्यक बताते हुए रिमांड अवधि कम करने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 5 दिन की ईडी रिमांड मंजूर की.
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