Patanjali Ayurveda Case: योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (MD) बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार (23 अप्रैल) को कहा कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापन मामले में अपनी ओर से हुई गलतियों के लिए समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी प्रकाशित की है.


जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामदेव और बालकृष्ण के वकील से समाचार पत्रों में प्रकाशित माफीनामे को दो दिनों के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने को कहा.


रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि वे अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करेंगे. दोनों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने सोमवार को देश भर के 67 समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया है.


पीठ ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को 16 अप्रैल को हिदायत दी थी कि वे एलोपैथी को नीचा दिखाने का कोई प्रयास नहीं करें. न्यायालय ने उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन के मामले में एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और पछतावा प्रकट करने की अनुमति दी थी.


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देगी. सुप्रीम कोर्ट 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है.


याचिका में आरोप लगाया गया कि पतंजलि ने कोविड टीकाकरण और एलोपैथी को लेकर नाकारात्मक प्रचार किया था और खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से बीमारियों के इलाज का झूठा किया था. याचिका में कहा गया कि पतंजलि ने अपना आयुर्वेदिक दवाओं से कोरोना और अन्य बीमारियों के पूरी तरह ठीक होने के दावा किया है. इतना ही नहीं आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद ने अपमानजनक अभियान चलाया है.


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