संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने एसआईआर समेत कई मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया, जिसकी वजह से पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया. ऐसे में अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को भी संसद में एसआईआर का मुद्दा हावी रहने वाला है. संसद सत्र शुरू होने से पहले रविवार (30 नवंबर 2025) को सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे सत्र के दौरान एसआईआर मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएंगे और कार्यवाही के बाधित होने की जिम्मेदारी सरकार पर होगी.

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SIR पर सरकार की ओर से क्या कहा गया?

किरेन रिजिजू (संसदीय कार्य मंत्री): "SIR पर चर्चा की विपक्ष की मांग सरकार के विचाराधीन है. इसे अस्वीकार नहीं किया गया है. सरकार SIR, चुनाव सुधारों सहित किसी भी विषय पर चर्चा करने के खिलाफ नहीं है, जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाए. एसआईआर चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए समय सीमा पर कोई शर्त न रखें."

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चिराग पासवान (केंद्रीय मंत्री और एलजेपी सांसद): "सिर्फ एसआईआर जैसे एक मुद्दे पर विपक्ष संसद का पूरा सत्र बर्बाद कर देगा. ऐसी बातें पहली बार चुनकर आए सांसदों को प्रभावित करती हैं, जो वाकई अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम करना चाहते हैं और सदन में मुद्दे उठाना चाहते हैं. प्रधानमंत्री की चिंता जायज है, क्योंकि हमारे पास अपने लोगों और देश के लिए काम करने के लिए सिर्फ पांच साल हैं."

संजय झा (जेडीयू सांसद): "पिछला सत्र भी एसआईआर के मुद्दे पर ही बर्बाद हो गया था. उस समय बिहार में एसआईआर प्रक्रिया चल रही थी. चुनाव आयोग ने सभी दलों से कहा था कि अगर प्रक्रिया में कोई असमानता हो तो वे अपनी शिकायत दर्ज कराएं, लेकिन किसी भी दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई."

जगदंबिका पाल (बीजेपी सांसद): "अगर वे (विपक्ष) सदन में हंगामा करते हैं और वेल में जमा होते हैं तो वे एसआईआर पर चर्चा नहीं चाहते, वे कार्यवाही रोकना चाहते हैं. वे एसआईआर पर क्या चर्चा चाहते हैं? बिहार की जनता ने एसआईआर के मुद्दों पर अपना जनादेश और जवाब दे दिया है."

विपक्ष ने क्या कहा?

प्रियंका गांधी (कांग्रेस सांसद): "चुनावी स्थिति और प्रदूषण बड़े मुद्दे हैं. आइए इन पर चर्चा करें. संसद किस लिए है? यह नाटक नहीं है. मुद्दों पर बोलना और उन्हें उठाना नाटक नहीं है. नाटक का मतलब है जनता से जुड़े मुद्दों पर लोकतांत्रिक चर्चा की अनुमति न देना."

सौगत रॉय (टीएमसी सांसद): "विपक्ष अपने सिद्धांतों पर अड़ा रहेगा. एसआईआर और दिल्ली में आतंकवादी हमला जैसे प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें विपक्ष लगातार उठाएगा. हम राज्यों को बकाया राशि का भुगतान न किए जाने के मुद्दे पर भी बात करेंगे."

अभिषेक बनर्जी (टीएमसी सांसद): "विपक्ष SIR पर बहस की मांग कर रहा है. क्या यह नाटक है? अगर लोगों की आवाज उठाना नाटक है तो लोग अगले चुनाव में उन्हें जवाब देंगे. बीएलओ सहित 40 लोग मारे गए. उन्होंने चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है. सरकार की जवाबदेही कहां है? हम SIR के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम जिस तरीके और तरीके से इसे लागू किया जा रहा है, उसके खिलाफ हैं."

अखिलेश यादव (सांसद समाजवादी पार्टी): "एसआईआर की चिंता आज वास्तविक होती जा रही है. अगर वोट कट जाएगा तो कोई व्यक्ति अपने सपने कैसे पूरे करेगा? अभी जो SIR चल रहा है वो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि वोट काटने के लिए है. जमीनी स्तर पर BLO फॉर्म भी नहीं भर पा रहे हैं. उनमें से कई तनाव में हैं. जब यूपी में तुरंत चुनाव नहीं हैं तो यह जल्दबाजी क्यों?"

कनिमोझी (डीएमके सांसद): "विपक्ष एसआईआर, देश की चुनावी प्रक्रिया और लोकतंत्र की रक्षा के बारे में चर्चा चाहता है. हम यही अनुरोध कर रहे हैं."