पाकिस्तान में जमकर सियासी घमासान देखने को मिल रहा है. विपक्ष सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुका है. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने इमरान खान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट फिलहाल डिप्टी स्पीकर के फैसले को चेक कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने का खुद ही संज्ञान लिया.

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इस बीच भारत सरकार ने भी पाकिस्तान की स्थिति को लेकर प्रतिक्रिया दी है. सरकारी सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि ये भारत समेत हर फ्रंट पर इमरान खान की नीतियां फेल होना दर्शाता है. भारत ने कभी रिश्तों को बढ़ाना भी चाहा तो इमरान खान ने दो चीजों को लेकर लगातार भारत को निशाना बनाया, जिसमें पहला  भारतीय लीडरशिप और खासकर प्रधानमंत्री को नाज़ी तक कहा जबकि खुद नाज़ियों वाला काम किया. सूत्रों के मुताबिक, दूसरा इमरान ने खुद माना कि भारत की विदेश नीति कितनी सफल है जिसका मतलब ये साफ है कि उनकी विदेश नीति भी सफल नहीं थी.

एबीपी न्यूज से सरकारी सूत्रों ने कहा कि जितनी भी लोकतांत्रिक परंपराएं उन्होंने बनाई थीं और जितने भी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने की कोशिश की जा रही थी, उसको इमरान खान ने झटका दिया है. इमरान खान स्पोर्ट्समैन तो हैं मगर स्पोर्ट्समैन स्पिरिट नहीं दिखाई.

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पाकिस्तान के ताज़ा राजनीतिक हालात पर भारत का शीर्ष नेतृत्व नज़र बनाए हुए है क्योंकि पाकिस्तान में जो भी होता है उसका प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ेगा और खासकर आर्थिक व्यवस्था पर क्योंकि पहले ही पाकिस्तान की इकोनॉमी चरमराई हुई है.

दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चुनाव की तैयारी करने के बजाय राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर देखने पर सोमवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधा था. रविवार को, नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उसके बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खान की सिफारिश पर निचले सदन को भंग कर दिया था. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी.

लोगों से संपर्क बढ़ाने के लिए उन्होंने राजधानी के रेड जोन के ठीक बाहर डी-चौक पर अपने समर्थकों की ओर से आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की घोषणा की.

खान ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह एक "विदेशी साजिश" पर आधारित था. उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि यह चलन खत्म हो जाए कि जिस किसी के पास 20 अरब रुपये हैं वह व्यक्ति सरकार गिरा सकता है. यह अस्वीकार्य है और लोकतंत्र को बदनाम करने के समान है.'

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