संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाया और जनमत संग्रह की बात कही. पाकिस्तान के इस कदम पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और साफ शब्दों में कहा कि यह ना तो शांतिपूर्ण मंशा दर्शाता है और नाहीं कामकाज में शांति नजर आती है. हालांकि भारत ने इमरान खान की नई सरकार से उम्मीद जताई की वे क्षेत्र के विकास के लिए और इसे आतंकवाद से मुक्त करने के लिए रचनात्मक कदम उठाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने बुधवार को पाकिस्तान की नई सरकार के लिए कहा, "शांतिपूर्ण तरीके से निपटारे (विवादों के लिए) के लिए शांतिप्रिय सोच और शांतिपूर्ण कदम की आवश्यकता है."
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी द्वारा 70 साल पहले कश्मीर पर की गई पहल को फिर से शुरू करने के सुझाव दिए जाने के बाद उन्होंने जोर देकर कहा कि "बहुत पहले ही खारिज कर दिए गए रुख को फिर से उठाना न ही शांतिपूर्ण इरादे और न ही शांतिपूर्ण कदम को दर्शाता है."
अकबरुद्दीन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान की नई सरकार, विवादों में पड़ने के बजाय आतंकवाद और हिंसा से मुक्त एक सुरक्षित और विकसित दक्षिण एशियाई क्षेत्र को को बनाने की दिशा में रचनात्मक रूप से काम करेगी." विवादों पर मध्यस्थता और निपटारे पर हुए इस सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रमंडल और संयुक्त राष्ट्र के ब्रिटिश मंत्री तारिक महमूद अहमद ने की.
मलीहा लोधी ने क्या कहा था? पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर अब भी लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने विभिन्न प्रस्तावों के जरिए कहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का निपटारा लोगों की इच्छा के अनुसार हो. और लोगों की इच्छा का निर्धारण मुक्त और निष्पक्ष लोकतांत्रिक जनमत संग्रह की प्रक्रिया के आधार पर संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में किया जाए.
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उन्होंने कहा था कि सुरक्षा परिषद ने यूएन कमीशन ऑन इंडिया एंड पाकिस्तान यानी भारत और पाकिस्तान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र का आयोग (यूएनसीआईपी) और भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनसीआईपी) का गठन करके संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को नियुक्त किया.