Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हैं. जो इस हमले में बच गए वो अपनी-अपनी आंखों देखी बता रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं अमरेंद्र जो पहलगाम पहली बार गए और अपना 6 दिन का ट्रिप अधूरा छोड़कर चले आए. उन्होंने ये भी बताया कि उस जगह पर टट्टू चलाने वाले दरियादिल इंसान थे, जिन्होंने बहुत हिम्मत दी.

यूट्यूब चैनल न्यूज तक के साथ हुई बातचीत में अमरेंद्र नाम के शख्स ने कहा कि जहां पर गाड़ियां पार्क होती हैं वहीं पर टट्टू वाले इकट्ठे होते हैं, जो आगे के सफर पर लेकर जाते हैं. वहीं से टट्टू वाले को बुक किया और आगे के लिए निकल गए. इससे पहले हमारी गाड़ी के ड्राइवर ने कहा था कि टट्टू वाले को कहना कि सरल रास्ते से लेकर जाए और उसी से लेकर आए.  

’अचानक सुनाई पड़ी गोलियों की आवाज’

उन्होंने आगे कहा, “हम लोगों का पिछले 3 साल से कश्मीर जाने का प्लान बन रहा था लेकिन इस बार पहुंच पाए थे. हम घोड़े वाले बात करते हुए आगे बढ़ रहे थे और बात करते हुए जा रहे थे कि एक कैमरामैन भी कर देना ताकि फोटो भी मिल सके. आगे के रास्ते के लिए लगभग आधा घंटा 40 मिनट तक चल पाए होंगे कि उधर से गोली की आवाज सुनाई पड़ी. पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन उधर से एक महिला आ रही थी, उसने कहा कि भागो फायरिंग हो रही है. इतने में अफरा तफरी मच गई.”

‘डरो मत सारी गोलियां पहले हमारे सीने से होकर गुजरेंगीं’

उन्होंने आगे बताया, “इसके बाद हम लोग भी वापस हो लिए. घोड़े वाले ने हमको बोला कि अपने ड्राइवर को फोन कीजिए, जहां पर छोड़ा था वहीं मिले. वो जल्दी-जल्दी भगाकर लेकर आया और डर भी लग रहा था. घोड़े वाले ने कहा कि सर हम लोग तो उस प्वाइंट पर अगले 5 मिनट में पहुंचने ही वाले थे. जिस गाड़ी में लोगों को जगह मिल रही थी, उसी में बैठकर भाग रहे थे. वहां पर घोड़े वाले एक्टिव रोल में थे. वो लोगों को निकालने में मदद कर रहे थे. बार-बार एक ही बात बोल रहे थे कि आप लोग परेशान न हों पहले गोलियां हमारी छाती पर लगेंगी तब आप तक पहुंचेंगी.”

ये भी पढ़ें: 'सीमा पार से जारी है आतंकवाद', भारत ने स्थगित की सिंधु जल संधि, पाकिस्तान को पत्र लिख बताई फैसले की वजह