One Nation One Election Bill: लोकसभा में एक देश एक चुनाव बिल पेश करने के समर्थन में 269 वोट पड़े हैं. इसके विपक्ष में 198 वोट डाले गए. इसके साथ ही बिल को जेपीसी कमिटी के पास भेज दिया गया है. सदन में बिल को विपक्ष ने भारी ऐतराज जाहिर किया है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल के नेताओं ने इस बिल को गैर-संवैधानिक बताया है. कांग्रेस ने कहा है कि ये बिल संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार है. विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह विधेयक भारतीय जनता पार्टी का देश में 'तानाशाही' लाने का प्रयास है.

कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक को गैर- संवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा, "ये विधेयक गैर- संवैधानिक हैं. ये हमारे राष्ट्र के संघवाद के खिलाफ है. हम इस विधेयक के खिलाफ हैं." 

विधेयक पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "ये संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है. संविधान की जो मूलभूत भावना संघीय ढांचा है वो संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य बराबर के हिस्सेदार हैं ये बिल पूरी तरह से इसके खिलाफ है.. इसलिए हम शुरू से इसका विरोध करते आ रहे हैं."

'क्षेत्रीय दलों को खत्म कर देगा ये बिल'

AIMIM असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि संसद में पेश एक देश एक चुनाव बिल जम्हूरियत के लिए खतरा क्यों है? यह बिल संविधान की बुनयादी ढांचे के खिलाफ है और क्षेत्रीय दलों को खत्म करने का काम करेगा. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, आज कह रहे हैं, वन नेशन वन इलेक्शन कल कहेंगे वन नेशन वन लीडर, ये लोग आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं.

वहीं, डीएमके पार्टी की सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने भी इन विधेयक को गैर- संवैधानिक और इसे भारत के संघवाद और लोगों की इच्छा के विरुद्ध बताया है. 

सपा ने किया भारी विरोध

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि मैं इस विधेयक के विरोध के लिए खड़ा हूं. अभी दो दिन पहले संविधान की गौरवशाली परंपरा को बचाने, उसकी कसमें खाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. अब दो दिन के भीतर ही संघीय ढांचे को तोड़ने के लिए बिल लाए हैं. यह बिल पूरे देश की एकता में अनेकता पर प्रहार करने वाला है. यह विधेयक संघीय ढांचे पर प्रहार करने वाला है. 

सांसद ने कहा कि जो लोग आठ विधानसभा सीटों का चुनाव नहीं करा पाते, मौसम देखकर तारीख बदलते हैं, वो लोग एक देश एक चुनाव करते हैं. मैं अपने नेता अखिलेश यादव की ओर से इस विधेयक का विरोध करता हूं. चार राज्यों का चुनाव एक साथ नहीं करा पाए, वह लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव कराना चाहते हैं. क्या अगर किसी राज्य में कोई सरकार गिरती है तो क्या पूरे देश में दोबारा चुनाव होंगे?आजमगढ़ सांसद ने कहा कि यह विधेयक गरीब, दलित, संविधान,पिछड़ा, मुसलमान, विरोधी है.

सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने विरोध किया है. उन्होंने कहा, "यह फैसला सच्चे लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा. ये देश के संघीय ढांचे पर भी एक बड़ी चोट करेगा. इससे क्षेत्रीय मुद्दों का महत्व खत्म हो जाएगा और जनता उन बड़े दिखावटी मुद्दों के मायाजाल मे फंसकर रह जाएगी, जिन तक उनकी पहुंच ही नहीं है. हमारे देश में जब राज्य बनाए गए तो ये माना गया कि एक तरह की भौगोलिक, भाषाई व उप सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के क्षेत्रों को ‘राज्य’ की एक इकाई के रूप में चह्नित किया जाए."

उन्होंने कहा, "इसके पीछे की सोच ये थी कि ऐसे क्षेत्रों की समस्याएं और अपेक्षाएं एक सी होती हैं, इसीलिए इन्हें एक मानकर नीचे-से-ऊपर की ओर ग्राम, विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के स्तर तक जन प्रतिनिधि बनाएं जाएं. इसके मूल में स्थानीय से लेकर क्षेत्रीय सरोकार सबसे ऊपर थे. ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही पलटने का षड्यंत्र है."

टीएमसी ने क्या कहा?

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी एक देश एक चुनाव विधेयक को लेकर भाजपा पर हमला बोला है और दावा किया कि यह देश के लोकतंत्र पर 'निर्लज्ज' हमला है. तृणमूल कांग्रेस महासचिव ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने वाला विधेयक ''लोगों के नियमित मतदान के मौलिक अधिकार को छीन लेगा.

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