नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अपने तीन आईपीएस अधिकारियों को मुक्त करने के संबंध में "अंतिम फैसला" राज्य सरकार का होगा. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर भीड़ के हमले को लेकर अधिकारियों को बाहर स्थानांतरित करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले को ‘डराने’ वाला करार दिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय को राज्य सरकार ने भेजा पत्र
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार देर रात कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से एक पत्र भेजा गया है, जिसमें उक्त अधिकारियों को “ मुक्त करने के प्रति अनिच्छा” से अवगत कराया गया है.
अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, “तीन आईपीएस अधिकारियों को मुक्त करने की हमारी इच्छा नहीं है और हमने इससे केंद्र सरकार को अवगत करा दिया है. इन अधिकारियों के पास महत्वपूर्ण दायित्व है और हमें उनकी जरूरत है.”
कोलकाता के पास बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के काफिले पर कथित तृणमूल कार्यकर्ताओं के हमले के कुछ दिन बाद गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा के तीन अधिकारियों को सेवा में कथित कोताही बरतने को लेकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए समन जारी किया है.
तीनों आईपीएस अधिकारियों, भोलानाथ पांडे (पुलिस अधीक्षक, डायमंड हार्बर), प्रवीण त्रिपाठी (पुलिस उप महानिरीक्षक प्रेसिडेंसी रेंज) और राजीव मिश्रा (अतिरिक्त महानिदेशक, दक्षिण बंगाल) को नौ और 10 दिसंबर को भाजपा अध्यक्ष नड्डा की राजनीतिक रूप से संवेदनशील पश्चिम बंगाल की यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में होने हैं विधानसभा चुनाव राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को समन जारी कर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के समक्ष पेश होकर नड्डा के काफिले पर हमले के संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा था. लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने उन समन को खारिज कर दिया था. उसके एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कदम उठाया है. बीजेपी अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले में कई नेता और कार्यकर्ता घायल हो गए और उनके वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे.
केंद्र के आदेश के आगे नहीं झुकेगा राज्य तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ केंद्र शीर्ष पुलिस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने की मांग कर राज्य पुलिस और पुलिस बल को डराने की कोशिश कर रहा है. ये आईपीएस अधिकारी नड्डा की सुरक्षा का प्रबंधन करते हुए काफिले के करीब थे. उनकी क्या गलती थी? ’’ लोकसभा में तृणमूल कांग्रस के मुख्य सचेतक बनर्जी ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर अंतिम फैसला राज्य का होगा... केंद्र के आदेश के आगे राज्य नहीं झुकेगा."
बनर्जी ने शनिवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दिल्ली तलब करना ‘राजनीति से प्रेरित’ है. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘राजनीतिक मकसद’ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर शीर्ष अधिकारियों को तलब किया गया है.
अधिकारियों को मुक्त करना संबधित राज्य सरकार पर निर्भर तृणमूल के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य सौगत राय ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर राज्य के अधिकार क्षेत्र के संबंध में बनर्जी की राय से सहमति जतायी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को मुक्त करना संबधित राज्य सरकार पर है जो उनकी उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए फैसला करता है.
सरकार के करीब माने जाते हैं तीनों अधिकारी तीन आईपीएस अधिकारियों को स्थानांतरित करने के गृह मंत्रालय के कदम से केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच और तनाव बढ़ सकता है. इन तीन अधिकारियों को पश्चिम बंगाल सरकार के करीब माना जाता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय में सूत्रों ने इस कदम का बचाव किया और कहा कि यह निर्णय अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों से जुड़े नियमावली के अनुरूप है. उन्होंने स्वीकार किया कि गृह मंत्रालय ने यह फैसला ‘एकतरफा और पश्चिम बंगाल सरकार को दरकिनार कर’ किया. लेकिन उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में संबंधित राज्य सरकार की सहमति ली जाती है.
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