Omicron Variant: भारत में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के दो मामले कर्नाटक राज्य में दर्ज हुए है. ऐसे में सवाल ये उठता दिखता है कि क्या कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की वजह वैक्सीनेशन में बदलाव करने की जरूरत है? क्या कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज या तीसरी डोज की जरूरत है ताकि वायरस से बचा जा सके? क्या बच्चों को भी वैक्सीन देना शुरू कर देना चाहिए? 


ऐसे कई सवाल है जो लोगों के मन में हैं और लगातार पूछे जा रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अभी इस वायरस के बारें में और जानकरी हासिल की जा रही है. वहीं टीकाकरण में इस तरह के फैसले साइंस और साइंटिफिक आधार पर लिए जाते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अभी तक इस वायरस के नए म्यूटेशन के बारें जितनी जानकारी है वो काफी नहीं है. इस बारें में और जानकरी हासिल की जा रही है. वहीं वैक्सीन के एक और डोज या बूस्टर डोज को लेकर भी अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि ऐसा करने पर बचाव हो सकता है. वैक्सीन या इलाज पर इस तरह के फैसले सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर, साइंटिफिक एविडेंस, रिसर्च के बाद लिए जाते हैं. 


नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने दी अहम जानकारी 


वी के पॉल का कहना है कि, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ओमिक्रोन के कैरेक्टरस्टिक्स उसका असर, उसका इम्पैक्ट यह सब अभी देखा जा रहा है और समझा जा रहा है. आज देश में ही नहीं पूरी दुनिया में तो इसकी वजह से वैक्सीनेशन पर कोई फैसला या ट्रीटमेंट पर लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. अभी जो हमने आपको दिखाया है वह मौजूदा स्थिति है. वैरिएंट को लेकर जब कोई आगे जानकारी आएगी तो उस पर देखा जाएगा कि किया निर्णय लेना उचित होगा. 


वी के पॉल ने आगे कहा कि, बच्चों के लिए वैक्सीन पर भी सरकार का कहना है कि ये पूरा फैसला साइंटिफिक आधार पर लिया जाएगा और तब जब इसकी पूरी जानकरी होगी. सिर्फ वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित होने से जल्दबाजी में इस तरह के फैसले नहीं लिए जा सकते है. इतना बड़ा डिसिशन की हम पीडियाट्रिक वैक्सीन इसकी वजह से स्ट्रेटजी किस तरफ जाती है, बूस्टर डोस के लिए इसके इम्परेटिव क्या है यह सब अध्ययन, जो इसके वैज्ञानिक पहलू उसको ध्यान से स्टडी कर रहे हैं उस पर पूरी नजर है और इस पर काम चल रहा है. इस बारें चर्चा होती है टेक्निकल और साइंटिफिक सर्किल में. इस सबको ध्यान से देखा जा रहा है. जैसे जो साइंटिफिक तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर फैसले लिए जाएंगे.


भारत सरकार कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती है- वी के पॉल


वी के पॉल ने बताया, दुनिया के कुछ देशों में इस वैरिएंट के आने से पहले से बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं. वहीं इस वैरिएंट के आने के बाद बूस्टर डोज की बात इसलिए भी कही जा रही ताकि इसे ज्यादा नुकसान ना हो. लेकिन साफ है कि भारत सरकार कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती है. इस तरह के फैसले सिर्फ वैज्ञानिक आधार पर और रिसर्च के आधार पर लिए जाएंगे. भारत में कोरोना टीकाकरण के लिए NTAGI यानी नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन है जो टीकाकरण से जुड़े फैसले की किसको कब वैक्सीन देनी, कितने अंतराल पर, बूस्टर डोज जैसी चीजों पर फैसला करती है वो भी पूरे साइंटिफिक एविडेंस और रिसर्च के आधार पर.  


वी के पॉल आगे बोले, फिलहाल दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस के बारें में और जानकरी हासिल करने में जुटे हुए हैं. अब तक जो जानकारी सामने आई है कि ये पुराने वायरस के मुकाबले पांच गुना ज्यादा तेज़ी से फैलता है, संक्रामक है. वहीं संक्रमित होने पर इसके लक्षण काफी माइल्ड हैं. इसे अभी तक गंभीरता का पता नहीं लगा है. इसे हाल ही में डब्लूएचओ ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है.


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