JK Politics: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) के किसी भी वर्ग के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने में नाकाम रही है और उन्हें न्याय नहीं दिला पाई है तथा इसलिए वह लोगों का ध्यान भटकाने की रणनीति अपना रही है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी के सभी प्रयासों को विफल करेगी और अगर सत्ता में आई तो विकास की नयी गाथा लिखने के लिए लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगी.
उन्होंने सीमाई जिले पुंछ के सुरनकोट में पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में बीजेपी नीत केन्द्र सरकार ने जब संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किया और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया,उसके बाद से अब तक जम्मू कश्मीर में कोई बदलाव नहीं आया है. अब्दुल्ला ने कहा , और चूंकि वे नाकाम रहे इसलिए वे मतभेद पैदा करके, मुसलमानों को एक दूसरे से लड़ा कर और लोगों को प्रताड़ित करके ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.
बीजेपी पर उमर का वार
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने पहाड़ी भाषा बोलने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के स्थानीय बीजेपी नेताओं के आश्वासन पर कहा कि वे गुर्जर और बकरवाल सुमदाय के लोगों को पहाड़ी समुदाय के लोगों से लड़वाने का खेल खेलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ''नेशनल कॉन्फ्रेंस की पूर्ववर्ती सरकारों ने केन्द्र में रही सरकारों से पहाड़ी भाषी लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की लगातार मांग की और कहा कि वे भी गुर्जरों और बकरवालों की तरह रहते हैं और कड़ी कठिनाइयों का सामना करते हैं.''
दुर्भाग्य से हम चुनाव हारे और बीजेपी पीडीपी के साथ सत्ता में आई
उन्होंने कहा, ''केन्द्र सरकार ने इसमें वक्त लगाया, इसबीच हमारी सरकार ने तब तक के लिए पहाड़ी लोगों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का सुझाव दिया, लेकिन दुर्भाग्य से हम 2014 में चुनाव हार गए और पीडीपी से हाथ मिला कर बीजेपी सत्ता में आ गयी.''
परीसीमन आयोग की रिपोर्ट की आलोचना की
अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं बदला है ,युवा अभी भी बेरोजगार हैं, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं और सरकारी योजनाएं जनता को लाभान्वित करने में विफल रही हैं. अब्दुल्ला ने परीसीमन आयोग की रिपोर्ट की भी आलोचना की.
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