असम: एक तरफ देश के कई राज्यों में नेशनल रजिस्टर सिटीजन (एनआरसी) को लेकर बवाल मचा हुआ तो वहीं असम में एनआरसी का ऑनलाइन डाटा ही गायब हो गया है. अचानक डाटा गायब होने से वेबसाइट की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सायकिया ने मंगलवार को एक चिट्ठी लिखकर इस घटना की जानकारी दी.


विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने उठाया मुद्दा


उन्होंने अपनी चिट्ठी में रजिस्ट्रार जनरल और सेन्सस कमिश्नर को रहस्मय तरीके से अचानक डाटा के गायब होने का मुद्दा उठाया है. सायकिया ने लिखा, “पीड़ितों के अपील की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही डाटा अचानक गायब हो गया. इसलिए इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि डाटा को बुरे इरादे से गायब किया गया है. ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुला उल्लंघन है.”


नेशनल रजिस्टर में ऐसे लोगों की जानकारी रखी गयी है जिनका नागरिक होने का सबूत है. साथ ही ऐसे लोगों का भी डाटा है जिनको नागरिकता के दायरे से बाहर या संदिग्ध कर दिया गया है. राज्य की कुल आबादी 3 करोड़ 30 लाख 27 हजार 661 में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया. जब एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट तैयार हुआ तो उसमें 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर कर दिया.


ऑनलाइन डाटा गायब होने के पीछे गहरी साजिश का शक!
पिछले साल अक्तूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोगों के डाटा को ऑनलाइन किया गया था. हालांकि डाटा कैसे गायब हुआ अभी भी ये रहस्य बना हुआ है. एनआरसी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि डाटा को क्लाउड स्टोरेज किया गया था. मगर क्लाउड स्टोरेज का पीरियड समाप्त हो जाने पर सेवा प्रदाता कंपनी विप्रो से रिन्युअल नहीं कराया गया. मामला सामने आने के बाद गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया है. उसने एनआरसी डाटा को सुरक्षित बताया है. उसका कहना है कि क्लाउड पर तकनीकी समस्या के चलते डाटा दिखाई नहीं दे रहा है और जल्द ही तकनीकी समस्या को दूर कर लिया जाएगा.


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