Noida Development Authority: रियल एस्टेट क्षेत्र की संस्था क्रेडाई-एनसीआर ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के विकास प्राधिकरणों से भूमि बकाया पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया है. क्रेडाई ने कहा कि रियल एस्टेट कारोबारियों को दिवालिया होने से बचाने और घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है.


CREDAI-NCR ने एक बयान में कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 100 से ज्यादा रियल एस्टेट डेवलपर्स के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक आंतरिक बैठक की गई. इस बैठक में मांग की गई कि अधिकारियों को एक दूसरे के साथ मिलकर समाधान योजना लानी चाहिए. ताकि बिल्डरों को राहत मिल सके. सुप्रीम कोर्ट ने 10 जून 2020 के अपने आदेश को वापस लेने के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट डेवलपर्स  तरह से प्रभावित हुए हैं.


इस फैसले में बिल्डरों को पट्टे पर दी गई जमीन के बकाया पर आठ फीसदी की ब्याज दर तय की गई थी. इसके बाद विकास प्राधिकरणों ने बिल्डरों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है जिसमें उन्हें भूमि आवंटन से संबंधित बाकी राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया है.


1.5 लाख घरों की रजिस्ट्री में देरी...


क्रेडाई-एनसीआर ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह लागू करने से इन दो शहरों में 1.5 लाख घरों की रजिस्ट्री में देरी हो सकती है. एनसीआर और रियल्टी कारोबारी दिवालिया हो सकते हैं. क्रेडाई-एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि न्यायालय के आदेश और अधिकारियों की प्रतिक्रिया के बाद डेवलपर ने महसूस किया कि 15-23 प्रतिशत की चक्रवृद्धि ब्याज दर देय राशि को बहुत अधिक बढ़ा देगी.


उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि अंतिम आंकड़ा मौजूदा बाजार दर से कहीं अधिक होगा. उस स्थिति में हमें एनसीएलटी का सहारा लेना पड़ सकता है.’’ हमने क्रेडाई-एनसीआर को एक बार में समाधान योजना की मांग की है.


ये भी पढ़ें:


Rajasthan Politics: गहलोत-पायलट के बीच 'ऑल-इज-वेल'? कांग्रेस ने दिया 'हम एकजुट' का नारा