तिरूवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने बुधवार को कहा कि यूएई की ओर से बाढ़ राहत सहायता के तौर पर केरल को की गई 700 करोड़ रुपये की पेशकश स्वीकार करने में यदि कोई दिक्कत है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे. सीएम ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से कहेंगे कि वह दिक्कत दूर करें.

विजयन ने मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए यह टिप्पणी की जिनमें कहा गया था कि केंद्र सरकार की तरफ से बाढ़ राहत कार्यों के लिए विदेशी धनराशि स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी मदद स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘दूसरे देशों की ओर से किया जाने वाला दान स्वीकार्य है. जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री से बात करेंगे.’

विजयन ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देश एक-दूसरे की मदद करें. साल 2016 में घोषित आपदा प्रबंधन नीति साफ करती है कि यदि किसी दूसरे देश की राष्ट्रीय सरकार स्वेच्छा से सद्भावनापूर्ण कदम उठाते हुए सहायता की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार यह पेशकश स्वीकार कर सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आधिकारिक स्तर पर बातचीत करके मुद्दे को सुलझाना चाहती है, लेकिन जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री के दखल की मांग की जाएगी.

इससे पहले, कांग्रेस ने केंद्र की ओर से विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करने की संभावना जताने वाली मीडिया की खबरों को निराशाजनक कहा था और प्रधानमंत्री से नियमों में संशोधन का अनुरोध किया था. केरल में पिछले सप्ताह आई बाढ़ ने केरल को अस्त-व्यस्त करके रख दिया है. यह पचास सालों में सबसे भयावह बाढ़ है. इस बाढ़ की वजह से केरल में 350 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में भारी मात्रा में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है.

केन्द्र सरकार ने तत्काल सहायता जारी करते हुए 500 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है. वही देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 100 करोड़ और गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 82 करोड़ रुपये की सहायता देने की बात की है.

दुनिया के विभिन्न देशों से सहायता का हाथ बढ़ाया जा रहा है. यूएई ने केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए 700 करोड़ रुपये सहायता राशि देने की बात की गई थी. इस सहायता को भारत सरकार ने स्वीकार करने से मना कर दिया है. वही मालदीव सरकार ने 32 लाख रुपये की मदद की पेशकश की है.